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सत्संग (लघु कथा)

AKSHAR
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बूढ़ी सास खाट में पड़ी पानी-पानी की रट लगाए थी. बहू अपने बनाव श्रृंगार में व्यस्त थी. बहू जैसे ही बाहर निकलने को हुई, सास ने फिर टोका,’बहू ! जाते-जाते जरा एक गिलास पानी तो पिला जा.’ सासू माँ क्या आप भी जाते हुए ही टोका करो ? आपको मालूम है ना मुझे सत्संग में देर हो रही है. बहू ने झल्लाहट में कहा और रसोई में चली गई. रसोई में इधर-उधर देखा तो साफ़ बर्तन ही न मिला. मिलता भी कैसे ? रात काम वाली बाई जो नहीं आई थी. बहू ने पैर पटके और एक झूठा गिलास उठा, पानी से भर कर सास को पकड़ा दिया और बाहर निकल गई.

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