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जाति (लघु कथा)

AKSHAR
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एक ठंडी और सुहानी सुबह. गाँव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में विद्यार्थी प्रात: कालीन सभा के लिए एकत्रित हए थे. प्रार्थना और राष्ट्रगान के बाद मुख्याध्यापिका ने रौबदार आवाज में विद्यार्थियों से पूछा,”लस्सी किस-किस के यहाँ मिल सकती है.आज मिड-डे मील में कढ़ी बनने वाली है.” आठ-दस विद्यार्थी खड़े हो गये. तभी मुख्याध्यापिका अचानक बच्चों से उनकी जाति के बारे में पूछने लगीं. बच्चे अपनी जाति का नाम बताने लगे, तभी एक पांचवीं कक्षा के विद्यार्थी ने अनमने ढंग से दबी आवाज में कहा, ‘चमार’. मुख्याध्यापिका ने जोर से कहा, क्या ? बच्चे ने बताने और छुपाने की कशमकश में फिर कहा,’चमार’. मुख्याध्यापिका ने सुनते ही उसे बैठ जाने को कहा. बच्चा चुपचाप अपने में सिमटता हुआ बैठ गया. दूसरे बच्चे लस्सी लेने के लिए घर जा चुके थे.

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