AKSHAR
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आवाजें उठती हैं
असर भी करती हैं
परन्तु हर आवाज में
वह ताकत नहीं होती
जो पार चली जाए
शासन की मोटी-ऊँची
अंधी और निर्मम
दीवार को लांघ कर.
कुछ आवाजों के पीछे
ताकत होती है समूह की
कुछ के पीछे
ताकत होती है
शासन की
राजनीति की
कूटनीति की,
परन्तु कुछ आवाजें
अकेली होती हैं
सहमी हुई
डरी हुई
जिन्हें दबा दिया जाता है
कुचल दिया जाता है.
कालचक्र में उलझी
ऐसी आवाजें
तोड़ देती हैं दम,
किसी सीलन भरे
अँधेरे कोने में.
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