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आज के दौर में सायद जीवन को जीना भी एक कला ही है सभी के जीवन में अनेक प्रकार की जटिलताएं , समस्याएं , परेशानिया आती है ……इन सबसे पार पाकर जीवन को जीना एक कला है आज के दौर में जीवन को जीने के लिए जरूरी है सहन शक्ति मजबूत होना …..लेकिन आज जो घटनाये आस पास हो रही है उन्हें देखकर लगता है की सहन शक्ति बहुत कमजोर होती जा रही है जो चिंता का कारण है …..अगर हम प्राचीन काल की बात करे तो महाराजा हरिश्चंदर जी ने अनेक मुशीबतो का सामना किया लेकिन हार नहीं मानी, प्रभु श्री राम ने भी कुछ कम मुशिबते नहीं उठाई फिर भी सहन शक्ति के कारण सब बाधाओ को पार किया महाभारत में पांडव भी हमारे सामने जीने की कला का उधारण है …..उस ज़माने के महापुरुषों की सहन शक्ति और आज के लोगो की सहन शक्ति में जमीन आसमान का अंतर आ चूका है …..आज तो समाज में ये हाल हो गया है की जरा सी बात हुई तो जहर खा लिया ,,, फाँसी लगलि …रेल के सामने आत्म हत्या करली …. बिजली का तार पकड़ कर आत्म हत्या करली …. ये सब दर्शाता है की हम लोगो में छोटी सी भी समस्या का सामना करने ही सहन शक्ति नहीं है …. एक समस्या से सामना होते ही जीवन बोझ लगने लगता है और व्यक्ति उस समस्या का सामना करने के बजाय या तो नशा खोरी की तरफ आकर्षित हो जाता है , या आत्म हत्या को अपना हथियार बना लेता है ,,, जबकि समास्या से लड़ते हुए ….आगे बढ़ते हुए …..उच्च विचारो के साथ …..जीवन को जीने के लिए संघर्ष करना चाहिए ….अच्छा और बुरा वक्त सबका आता है …धीरज को धारण करके बुरे वक्त को बिताना चाहिए ,अच्छा वक्त भी जरूर आएगा …..आज अंधकार है तो भोर भी होगी ….आज दो रपये है तो कल चार भी होगे ….आज दुखो का दौर है तो कल ख़ुशी का दौर भी होगा ….समस्याओ के बोज तले दबकर …. उठाया गया सहन शक्ति की कमी के कारण कोई भी कदम परिवार के लिए उतनाही घातक होता है ….जब कभी अख़बार में कोई ऐसी खबर पढता हु की परिवार को चलने वाले ने ….परिवार का पालन पोषण करने वाले ने आत्म हत्या करली …….तो मेरा मन दुखी होता है ……आसु निकल आते है ये सोचकर की अब उन छोटे बच्चो का सहारा कौन बनेगा लेकिन ये तो दुनिया है सदियों से चलती आई है और चलती रहेगी …..अब जरुरत है की हम पूर्वजो का गुणगान तो करते है अनुशरण नहीं ….अब अनुशरण भी करना होगा ….हम लोग मंदिर में भगवन को तो पूजते है लकिन जीवो में बसे भगवन को नजरअंदाज करते है जो सही नहीं है ………अथार्त जो समय को विचारकर …दुखो से टकराकर ……जीवन को जीता चला जाये यही जीने की कला है ……
ravinder singh ..
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