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दूध या दारू

kavi ravinder singh .com
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दूध या दारू

दूध को भारत में अमृत के सामान माना जाता है यहाँ तक की दूध को खड़े होकर भी नहीं पीते बल्कि बैठकर पीते है दूध को प्राचीन गरन्थो में भी अमृत बताया गया है दूध से बनाया गया भोजन सवादिष्ट और शक्तिशाली होता है दूध से बानी खीर तो देवताओ का भोजन कहलाती है  दूध ही एक ऐसा द्रव है है जिसे पीकर हर चीज की पूर्ति हो जाती है जब बच्चा छोटा होता है तो एक साल तक माँ का दूध पीकर ही फलता फूलता है  दूध न केवल कैल्शियम का भंडार है, बल्कि इसमें लैक्टिक एसिड भी होता है, जो त्वचा को मुलायम बनाता है। इसे पीने से शरीर में सेरोटोनिन हार्मोन का स्राव होता है, जिससे दिमाग शांत रहता है। एक बार की बात है मुझे एक घायल बाज मिला मै उसे उठा कर घर ले आया अब समस्या आई की उसे क्या खिलाऊ एक डाक्टर से संपर्क किया तो डाक्टर ने बताया की आप उसे दूध और मलाई को खिलाओ लैकिन दूध को मीठा मत करना मैंने ऐसा ही किया बाज को केवल दूध और मलाई देनी सुरु करदी और बाज ठीक हो गया चार पांच दिन बाद उसने घर में से छिपकली और जो एक दो चूही थी सबका सफाया कर दिया इसलिए  दूध ही ऐसा अमृत है जो शाकाहारी और मासा हारी सब जीवो को संतुष्टि प्रदान करता है

(डाइटीशियन डॉ. विनीता बंसल के अनुसार दूध को बार-बार उबाले नहीं, ऎसा करने से उसमें मौजूद विटामिन और पोषक तत्वों में कमी आ जाती है। कोशिश करें कि दूध जरूरत के हिसाब से ही खरीदकर लाएं और फ्रिज में ढककर रखें। जितना प्रयोग में लाना हो केवल उतना ही दूध गर्म करें।)

दूध के पीने से मनुष्य में शक्ति आती है बल बढ़ता है मनुष्य सवस्थ रहता है इसलिए दूध का सेवन जरूर करना चाहिए आपने कभी नहीं सुना होगा की शराब को पीकर कोई पहलवान  हो गया या शराब को पीकर के मेडल जीत लिए हो परन्तु दूध को पीकर के जरूर लोगो ने उचाईयो को छुआ है
गाय के दूध में प्रति ग्राम ३.१४ मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। आयुर्वेद के अनुसार गाय के ताजा दूध को ही उत्तम माना जाता है। बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर के आयुर्वेद के विभागाध्यक्ष डॉ॰ मेहर सिंह के अनुसार गाय का दूध भैंस की तुलना में मस्तिष्क के लिए बेहतर होता है।
इंटरनेशनल डेयरी जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ मायने में किए गए एक शोध से यह बात साबित हो चुकी है कि जो लोग रोजाना कम से कम एक ग्लास दूध पीते हैं, वे उन लोगों की तुलना में हमेशा मानसिक और बौद्धिक तौर पर बेहतर स्थिति में होते हैं, जो दूध का सेवन नहीं करते पौष्टिकता की दृष्टि से दूध एक मात्र सम्पूर्ण आहार है जो हमको प्रकृति की देन है। हमारे शरीर को लगभग तीस से अधिक तत्वों की आवश्यकता होती है। कोई भी अकेला पेय या ठोस भोज्य पदार्थ प्रकृति में उपलब्ध नहीं है जिससे इन सबको प्राप्त किया जा सके। परन्तु दूध से लगभग सभी पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के लिए सन्तुलित व पूर्ण भोजन का स्तर दिया गया है। दूध में मौजूद संघटक हैं पानी, ठोस पदार्थ, वसा, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज वसाविहिन ठोस। अगर हम दूध में मौजूद पानी की बात करें तो सबसे ज्यादा पानी गधी के दूध में 91.5% होता है, घोड़ी में 90.1%, मनुष्य में 87.4%, गाय में 87.2%, ऊंटनी में 86.5%, बकरी में 86.9% होता है। लेकिन पीने के लिए सबसे सार्थक दूध गाय और भैस का ही माना जाता है भैस तो हमारे देश में बाद में आई प्राचीन काल में तो गाय ही थी जिनका दूध पीकर के हनुमान जी भीम जैसे महपुरूषों ने अपने बल का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया

अब बात करते है शराब की …………..
शराब
मदिरा, सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है।
रम, विस्की, चूलईया, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर, हंड़िया, आदि सभी एक है क्योंकि सबमें अल्कोहल होता है। हाँ, इनमें एलकोहल की मात्रा और नशा लाने कि अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है परन्तु सभी को हम ‘शराब’ ही कहते है। कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं जो कि बिलकुल गलत है। दोनों में एल्कोहल तो होता ही है। जिसका आदमी धीरे धीरे तलबगार हो जाता है और वो कब समाज और परिवार की नजरो में गिर जाता है उसे पता ही नहीं चलता जीवन ऐसा होजाता है की कुछ कहा ना जाये

शराब अक्सर हमारे समाज में आनन्द के लिए पी जाती है। ज्यादातर शुरूआत दोस्तों के प्रभाव या दबाव के कारण होता है और बाद में भी कई अन्य कारणों से लोग इसका सेवन जारी रखते है। जैसे- बोरियत मिटाने के लिए, खुशी मनाने के लिए, अवसाद में, चिन्ता में, तीव्र क्रोध या आवेग आने पर, आत्माविश्वास लाने के लिए या मूड बनाने के लिए आदि। जब लोग शराब का सेवन जारी रखते है तो धीरे-धीरे ऐसी आदत बन जाती है कि उसे छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है। वह व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। छोड़ने की कोशिश करने पर नाना प्रकार के शारीरिक व मानसिक परेशानियाँ होती है और व्यक्ति इसका लगातार सेवन करने के लिए बाध्य हो जाता है। शराब शरीर के लगभग सभी अंगो पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता है अैर शरीर का शायद ही कोई अंग इसके दुष्प्रभाव से वंचित रहता है। शराब से पेट संबंधी बिमारियाँ जैसे- अपच, पेट के धाव (अल्सर), यकृत की बीमारी जैसे-सिरोसिस, लिवर का पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होना, स्नायु तंत्र की कमजोरियाँ, हृदय संबंधी रोग विशेषतः रक्तचाप, यादास्त की बीमारी, कैंसर आदि। इस तरह से हम देखते है कि शरीर तो खराब होता ही है, मस्तिस्क की कोशिकाएँ भी मरने लगती है। मानसिक रोग उत्पन्न होते है तथा व्यक्ति में परिवर्तन आ जाता है। शराब व्यक्ति के जीवन में कई स्तरों पर अपना प्रभाव डालती है। जैसे-मानसिक स्तर पर उत्तेजना, चिड़चिड़ापन, उदासी, आदि। व्यवसायिक क्षेत्र में कार्य दक्षता और क्षमता में गिरावट। सामाजिक स्तर पर धीरे-धीरे समाजिक गतिविधियों से विमुख होना और दूसरो की नजर में गिरना आदि।
शराब पीने वाले खुद यह तय करे कि अब मैं शराब नही पीउँगा तो चिकित्सक इनकी मदद कर सकते है। देखा जाता है कि परिवार वाले तो उनके इलाज के लिए तैयार रहते है किन्तु व्यक्ति स्वयं इलाज नहीं कराना चाहता। ऐसी हालत में चिकित्सक का प्रयास सार्थक हो ही नहीं सकता। स्वयं व्यक्ति के प्रबल इच्छाशक्ति तथा परिवार के सहयोग तथा चिकित्सकों के सतत् प्रयास से सफलता पूर्वक इसका इलाज संभव है।  लेकिन इसके लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है जिसका शराबी लोगो में आभाव पाया जाता है नशा कोई भी हो नशे की दलदल में उतारना जितना आशान होता है  इस दल दल से निकलना उतना ही मुशिकल होता है कहा जाता है की सबसे बड़े शराबी का लक्षण यह होता है की यदि शराबी शराब को छोड़ना चाहे तो उसे से साय साय की आवाज सुनाई देने लगती है शरीर में कम्पन होने लगती ही साँस फूलने लगता है वजन घटने लगता है कीड़ी मकोड़ी सी चलती हुई दिखाई देने लगती है और शराब के पीने से सब समस्याएं ठीक हो जाती है ऐसा व्यक्ति जो शराब पीये तो भी मरता है और जो न पिये तो भी क्योकि अब बहुत देर हो चुकी होती है ……..इसलिए अब देर ना होने दे और शराब छोडदे बाकि जिसकी जैसी मर्जी ……रविंदर सिंह17

प्रवीण कुमार भीम और रविंदर सिंह

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