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आओ प्रेम करें – यशवंत कोठारी का व्यंग्य Valentine Contest

छींटें और बौछारें
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विश्‍व में जो नारे सर्वाधिक प्रचलित हैं, उनमें से एक है-प्रेम करें। युद्ध नहीं। मैं भी प्रेम ही करना चाहता हूं। वास्‍तव में जब समय काफी हो और करने को कुछ न हो तो आदमी को एक दो प्रेम कर लेने चाहिए। प्रेम कर लेने से व्‍यक्‍ति व्‍यस्‍त हो जाता है। स्‍मार्ट रहता है, समय आराम से कट जाता है और सबसे ऊपर वह जवान रहता है और युद्ध करने की जरूरत नहीं पड़ती । वैसे तो प्रेम और युद्ध में सब कुछ जायज है, मगर जब युद्ध करना ही नहीं है तो केवल प्रेम ही बच जाता है।

आखिर आदमी कहां करे प्रेम। कहीं भी किया जा सकता है प्रेम । लोग फूलों से प्रेम करते हैं, काम से प्रेम करते हैं, पुस्‍तकों से प्रेम करते हैं बल्‍कि डॉक्‍टर रोगी से प्रेम करता है। वकील मुवक्‍किल से प्रेम करता है। व्‍यापारी ग्राहक से प्रेम करता है। अफसर नेता से प्रेम करता है और नेता देश से प्रेम करता है । लेकिन प्रेम के ये विभिन्‍न प्रकार उस महान प्रेम के बिल्‍कुल अलग हैं जो दो युवा दिल आपस में करते हैं। अनुभव की आग और युवा धड़कन मिल कर जो प्रेम करती है, वही है सृष्‍टि का असली सौंदर्य।

जब करने को कुछ न हो तो यारों प्रेम करो। हर गली, मोहल्‍ले, नुक्‍कड़ पर रोड़ रोमियो घूम रहे हैं। एक प्रश्‍न अक्‍सर पूछा जाता है-कहां करें प्रेम ? मैं पूरे आत्‍म विश्‍वास से उत्त्‍ार देता हूं-प्‍यारों बागों में, बगीचों में, खण्‍डहरों में, ऐतिहासिक इमारतों में, पुरानी हवेलियों में, किलो में, होटलों में, फार्म हाउसों में, रिसोर्टों में, हिल स्‍टेशनों में, मैदानों में, पठारों पर, कहीं भी किया जा सकता है प्रेम। प्रेम के लिए उम्र, स्‍थान कभी बाधक नहीं बनते हैं। जब जहां अवसर मिला, कर लिया प्रेम । बकौल एक लेखक के आजकल का प्रेम बस कहीं भी कभी भी किसी झाड़ी के पीछे या समन्‍दर के किनारे या पहाड़ी की तलहटी में।

प्रेम में सबसे महत्‍वपूर्ण चीज है-प्रेम पत्र । और प्रेम-पत्र लिखना कोई आसान काम नहीं है। स्‍कूल के दिनों से ही इस विधा में पारंगत हूं। एक-आध बार मुझे अन्‍य मित्रों के प्रेम-पत्र ड्राफ्‍ट करने के कारण स्‍कूल से निकाला भी गया था। मगर बन्‍दे ने प्रेक्टिस नहीं छोड़ी और आज छोटा-मोटा लेखक इसी बलबूते पर बन गया हूं। प्रेम-पत्रों की भाषा, उसे पोस्‍ट करना और जवाब पाना ये सब बड़े ही तकनीकी कार्य हैं। और तमाम वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद अभी भी इनमें बहुत रिस्‍क है। जिन-जिन को मैंने प्रेम-पत्र लिखे उन-उन ने समय रहते शादी कर ली। मेरी जोरदार कलम का कमाल कि वे सभी अब अपने नाते पोतों के साथ मस्‍त हैं और मैं अभी भी कलम घसीट रहा हूं।

>>>  पूरा व्यंग्य आलेख आगे यहाँ रचनाकार पर पढ़ें

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