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अस्य श्री क्रिकेटस्तोत्र माला मंत्रस्य श्री क्रिकेट मिथ्या प्रशंसक ऋषिः रविरतलामी छन्दः गलीक्रिकेट खिलाड़ी सर्व वर्ण शक्तयः शुश्रुषा वीजं वाकस्तम्भ कीलकम् क्रिकेटम् प्रसन्नार्थे पठे विआनेयोगः।
हे क्रिकेट। हम निठल्ले तुमको प्रणाम करते हैं।
तुम नानागुण विभूषित, सुंदरकांति विशिष्ट बहु संपद युक्त खेल हो अतः हे क्रिकेट ! हम निठल्ले तुमको प्रणाम करते हैं।
तुम हर्ता क्रियात्मकता व रचनात्मकता के, तुम कर्त्ता आराम व छुट्टी के, तुम विधाता सटोरियों के अतएव हे क्रिकेट हम निठल्ले तुमको प्रणाम करते हैं।
तुम समर में 20 ओवर धारी, विंटर में 40 ओवर धारी, बाकी समय 5 दिवस धारी मुफ़्त मनोरंजन कारी अतएव हे क्रिकेट हम निठल्ले तुमको प्रणाम करते हैं।
तुम एक रूप से तमाम खेलों पर राज्य करते हो, एक रूप से किसी खेल को आगे बढ़ने नहीं देते हो और एक रूप से अनिश्चित हो, अतएव हे त्रिमूर्ते! हम निठल्ले तुमको प्रणाम करते हैं।
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