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सम्मान लौटाना जायज ?

एक सोंच
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पिछले 15 दिनों से खबरिया चैनल और अख़बारो की जो सुर्खियां बना हुआ है. पहले साहित्यकारों नें अपना सम्मान लौटाया. फिर फिल्म संस्थान एफटीआईआई छात्रों के समर्थन में फिल्मकारों ने, अब देश को जिन पर गर्व होता है, वो भी इस लाइन में आ खड़े हुए. पी.एम भार्गव देश के जाने-माने वैज्ञानिक ने भी अपना पद्म भूषण सम्मान लौटाने की बात कही है.

कन्नड़ लेखक एमएम कलबर्गी के हत्या के बाद लेखकों ने अपना विरोध प्रदर्शन किया. अपने इस विरोध को जताते हुए साहित्यकारों ने कहां देश में लिखने की आजादी नही है. देश का माहौल ठीक नही. जिसे देखते हुए साहित्यकारों ने अपना सम्मान लौटाने का फैसला कर लिया. किसी लेखक को लिखने की आजादी तो मिलनी ही चाहिए.

उसकी आजादी को छीनते हुए हत्या कर देना तो काफी निंदनीय बात है. लेखक ही समाज को समय-समय पर जागरूक करते आए हैं. लेकिन सम्मान लौटाना कहां तक जायज है, सभी सम्मान लौटाने वालों से  इतना जरूर कहना चाहेगें कि कड़ी मेहनत और लगन के बाद आप उस मुकाम पर पहुंचकर सम्मान पाने के हक़दार बने है.

आप के अंदर काफी काबलियत होगी. उस मुकाम पर कितनों के पहुंचने का सपना अधूरा रह जाता है. जिस प्रतिभा के लिए आप को सम्मान से नवाजा गया है, उसे लौटाकर आप अपनी सोंच और गहराई को बंया कर रहे है.

वो सम्मान आप को घर बैठे नही प्राप्त हुआ है. आप ने अपने देश के लिए अच्छा काम किया है. तब जाकर उस सम्मान के हक़दार बने हैं. आप सब को लगता है देश का माहौल खराब है तो उसके बारे में विरोध का दूसरा तरीका भी है. सम्मान लौटाकर आप अपना अपमान तो कर ही रहे है, साथ ही उस सम्मान का भी जिसे पाकर कभी आप ने गर्व महसूस किया था. एएम कलबर्गी जी की हत्या के बाद आप ने  विरोध में सम्मान लौटा दिया, इससे क्या फायदा होगा. आप सबकों तो अपने लेखों से इतना परेशान कर देना चाहिए कि सरकार और हत्यारा दोनों परेशान हो जाए.

जिससे पुलिस आरोपी को जल्द से पकड़कर कानून के घेरे में लाकर खड़ा कर दे. बुद्धिजीवी होकर ये सम्मान लौटाने की बात कहा से सूझी. लेखको पर हमले हो रहे हैं. इसके खिलाफ हमें एक साथ खड़ा होकर अपना विरोध प्रदर्शन करना चाहिए. जिस बारे में लेखक पर हमला बोला गया है, उसी बारे में एक साथ सभी लिखना शुरू कर दो, कितनों पर कोई हमला करेगा. एक दिन तो पकड़ा जाएगा. सम्मान लौटाने की पहल आप ने शुरू की. तो देखों उसका असर फिल्मकारों पर भी पड़ा. वो भी इस कतार में आकर खड़े हो गए.

यही बात फिल्मकारों पर भी लागू होती है. सम्मान लौटाने से कुछ परिवर्तन नही होने वाला. अभी तक होता था, कि क्या होगा लोग आएगें नारे लगाएगें पुतला फूंकेगें फिर चले जाएगें. अब होगा लोग आएगें सम्मान लौटाएगें, नारे लगाएगें और चले जाएगें. देश में एक नही लाखों समस्या हैं. हर रोज कोई पुलिसवाला भी किसी बदमाश के गोलियों का शिकार होता है

. वो भी कह दे कि पुलिस पर हमला हुआ देश का माहौल सही नही है, साथ ही जिन्हें वीरता, शौर्य का सम्मान मिला वापस करने लगे. लेकिन वो ऐसा नही करते. देश की सेवा में जो सम्मान प्राप्त हुआ उसका अपमान नही करना जानते. वो उन अपराधियों को खोजने लगते हैं, जिसने ऐसी घटना को अंजाम दिया है. सेना के हमारे जवान पाक फायरिंग में शरहद पर शहीद हो रहे हैं, उनका भी दुख दर्द तो समझो.

परिवार से दूर रहकर देश की सेवा करते हैं. विज्ञान ने आज कितनी तरक्की कर ली है. मनुष्यों के लिए हर चीज में किसी वरदान में कम नही है. देश में विज्ञान की सेवा करते हुए वैज्ञानिक पी.एम भार्गव ने अपना सम्मान वापस लौटा दिया. और कहा देश का माहौल सही नही है. देश को हिंदु राष्ट्र बनाया जा रहा है. देश में पाकिस्तान जैसे हालात पैदा किए जा रहे हैं. जिसे लेकर उन्होने पद्म भूषण सम्मान लौटा दिया.

आप के काम को लेकर देश ने इस सम्मान से आप को नवाजा था. देश को आप जैसे लोगों की जरूरत है. ये सम्मान किसी सरकार या पार्टी की जागीर नही है. जो सरकार से नाराजगी दिखाते हुए वापस कर दिया जाए. सरकार का पूरा विरोध करो. अगर आप को उसकी नीति पंसद न हो तो. लेकिन जिस सम्मान को पाकर आप गौरव महसूस करते है उसका अपमान तो न करो.

खैर बात कुछ भी हो. अपनी अपनी सोच और विचार की बात है. देश में लोकतंत्र है विरोध करने का अपना –अपना तरीका है . जिसे जैसा लगे विरोध करे. अब साहित्य अकादमी ने निंदा प्रस्ताव भी पारित कर दिया है. साथ ही सम्मान वापस लेने की अपील भी कर ली है.

रवि श्रीवास्तव

स्वतंत्र पत्रकार, लेखक

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