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नेता जी कहिन, अबकी बार, गाय हमार,

एक सोंच
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व्यंग

नेता जी कहिन, अबकी बार, गाय हमार,

देश में एक मौसम सदाबहार रहता हैं. जाने का नाम ही नही लेता है. वो है चुनावी मौसम. कभी इस राज्य में तो कभी उस राज्य में. जहां भी ये मौसम शुरू होता है. वहां तो जैसे चार चांद लग जाते हैं.गली मोहल्लों में चहल-पहल बहुत बढ़ जाती है.

चाय की दुकानों पर दो चुस्की चाय के साथ राजनीति की गरम पकौड़ी भी छलने लगती है. बस चाय पीते रहो, और राजनीति की पकौड़ी खाते रहो. गलियारों में  संगीत सुनाई देता है. देश भक्ति का संगीत. फिर थोड़े देर में वही संगीत दूसरी भाषा बोलने लगता है.

आप के प्यारे चहेते नेता जी को, कांटे में फंसी मछली के निशान पर मोहर लगाकर भारी मतों से विजयी बनाए.  अरे भाई निशान काफी अच्छा मिला है. जैसे मछली कांटे में फंसी है उसी तरह इस मौसम में अपने लुभावने वादे में नेता जी जनता को फंसा रहे है. आज खटियापुर गांव में नेता जी की सभा है लोगों में भी जबरजस्त उत्साह है.

आखिरकार पांच सालों के बाद अपने प्यारे नेता जी को देख रहे थे. गांव में घूमती हुई गाड़ी में टेप रिकॉर्ड से नेता जी के वादें बज रहे हैं. धीरे-धीरे भीड़ भी जमा हो रही थी. जब चुनावी आंधी चलती  है, तो राजनेता से ज्यादा जनता में इसका असर देखा जाता है.

चाय की दुकान पर कुछ लोग बैठें बातें कर रहे थे. एक ने कहा इस बार अपने यहां से तो इस बार दूसरी पार्टी का नेता जीत रहा है. तभी दूसरे ने कहा अरे नही, चुनावी हवा तो कांटे में फंसी मछली पर है. भाई दो बार से जीत रहे हैं. तभी पहले वाले ने कहा, भाई नेता जी कहिन रहय, गांव में पानी की व्यवस्था, सड़क, बिजली, जीतकर आएगें तो सुधार देंगे.

लेकिन दो बार से जीतकर आते रहें हैं, कुछ नही किया. तभी नेता जी के समर्थन में उतरे दूसरे ने कहा, भाई नेता जी जो कहिन रहय वह पूरा करवावय के लिए पैसा भेजत ही, लेकिन बिचवैलिए खा जात थी. तभी साय साय चार-पांच गाडियां चाय की दुकान के पास से गुजरी. चाय वाले ने भी अपनी गुगली फेंकी. अरे भाई लगता है नेता जी आ गए हैं. चलो भाषण सुनते हैं. एक बार फिर खटियापुर गांव के लोग अपनी खटिया छोड़ नेता जी के भाषण सुनने के लिए खड़े हो गए.

नेता जी भीड़ देखकर खुश थे. अब नेता जी का भाषण शुरू हुआ. नेता जी कहिन, मेरे भाइयों आप के बीच फिर मैं आया हूं. चुनाव होने वाला है. जैसे आप ने दो बार सेवा का अवसर दिया था. एक बार फिर मुझको सेवा का अवसर दे. इतना सुनते ही तालियों से पूरा गांव गूंज उठा. नेता जी ने कहा, नेता जी ने कहा मैने तो गांव का विकास करने की पूरी कोशिश की.

पर क्या करे राज्य में हमारी सरकार नही है.  नेता जी को पता था कि सड़क, बिजली, पानी का वादा तो हर बार करता हूं. इस पर तो कुछ बोल नही सकता. तभी उनके ऊंचे मंच से एक गाय नजर आ गई. लो भैया अब क्या था. मुद्दा मिल गया था. नेता जी ने गाय पर बोलना शुरू कर दिया. देश में गाय पर राजनीति को देखते हुए, कहा हम जीते तो गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करवाएगें.

बीफ को बैन करवा देगें. अब बेचारे न समझ गांव वालों को क्या पता बीफ तो पहले से बैन है. मंच से कुछ दूर बंधी हुई गाय ने अपनी आवाज निकाली. ऐसा लग रहा था वो नेता जी से कुछ कह रही थी. शायद वो कह रही थी, कि हम सबका भी पहचान पत्र बनवा दो, ताकि हम मतदान कर सके.

आप ने हमारे बारे में इतना सोचा है तो हमारा भी कुछ फर्ज बनता है. भाषण समाप्त करते हुए नेता जी कहिन, गांव वालों अबकी बार, गाय हमार, लोगों ने ताली तो बजा दी. अब देश में लोकतंत्र है. जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है. जनता अपना नेता चुनकर ला रही है. अब पशुओं पर वादे करेगें तो नही पूरा होने पर कोई कह भी नही सकता.

अब गाय आकर थोड़े पूछेंगी. आप ने जो वादा किया था उसका क्या ? इतना कहते हुए नेता जी गाड़ी में अपने लोगों को समझा रहे थे.

रवि श्रीवास्तव

लेखक, कवि, कहानीकार, व्यंगकार

ravi21dec1987@gmail.com

9452500016

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