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प्रेम की नई गाथा

raxcy bhai
raxcy bhai
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प्रेम की नई गाथा
आजकल खोया-खोया सा रहता हूँ,
केवल उनके याद मे ही तो,
डूबा-डूबा सा रहता हूँ l
क्या ये मजबूरी है,
या मजबूर हूँ मैं !
पहर-दोपहर बग़ैर तेरे साथ,
मैं रह नहीं पाता हूँ…
दिन सोहाना सा लगता है.
राते बिखरी बिखरी सी लगती है l
तड़प तेरे याद मे,
हर एक चीज हसीं-हसीं सी लगती है l
आदत सी लग चुकी हो तुम…
बग़ैर तेरे मै कहीं जा भी तो,
नहीं पाता हूँ l
हां,इतनी सी बात पे तो ,
साथ जो तुझे मैं रखता हूँ l
आखिर कारण तेरे ही तो,
मोबाइल रिचार्ज जो कराता हूँ l
समझ न पाता हूँ,
हद से भी ज्यादा…..
जो प्यार तुझसे ही तो,
मैं करता हूँ l
रास्ते रास्ते पे नजर,
तू जो आ जाती है,
वहम है! या वहम ही हकीकत है…
बात समझने मे ये तो ,
दिन ढल जो जाता है l
पूरा दिन मेहनत किए फिरता हूँ,
शाम तेरे याद जो गुजारता हूँ l
हिसाब-किताब तेरा,
मैं भी तो अब रखता हूँ l
एक तेरे रूप मे ही तो,
अपनी मेहनत इकठ्ठा किए फिरता हूँ l

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