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किसान हूँ मैं

raxcy bhai
raxcy bhai
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किसान हूँ मैं,
सबका ख्याल मैं रखता हूँ..
बोझ मैं दुनिया का उठाता हूँ
अपने कंधो मे हल लिए,
भोर होते निकल जाता हूँ l
किसान हूँ मैं,
सबका ख्याल मैं रखता हूँ.
अपना न कोई छुट्टी है
और न ही कोई चिंतामुक्त त्यौहार
दिन सातों रहता हूँ खेतो पर
उगाता हूँ सोने के हर एक दाने
अपने पसीने से यार
किसान हूँ मैं,
सबका ख्याल मैं रखता हूँ.
लार-प्यार से मैंने खेत को जोता
फसलो पर दाने लगते ही
बेचने को बिबस हो जाता
पत्नी, बेटा-बेटी की कामना लिए
बाजार मैं जाता हूँ
घूमफेर के अपने फसलों को
बाजार मे बैच आबाद हो आता हूँ l
घर आते ही बर्बाद हो जाता हूँ l
घर आते ही बर्बाद हो जाता हूँ ll
किसान हूँ मैं,
सबका ख्याल मैं रखता हूँ.
रहते खड़े द्वार पर मेरे
महाजन सब अड़े, कहते वे
चुका दो अब लोन व कर हमारे !
अन्न मैं उगाता हूँ
खुद दो वक्त न खा पाता हूँ l
किसान हूँ मैं,
सबका ख्याल मैं रखता हूँ.
दुनिया का ये क्या चाल है
रंग-रूप सब बेहाल है
जिसका अन्न वही बर्बाद हो भूखा है
जिसका नहीं वह आबाद हो बैठा है l
पैसा का ही बोलबाला है
जिसका नहीं वही बकरा है l
किसान हूँ मैं,
सबका ख्याल मैं रखता हूँ.
और खुद बकरा बन बैठा हूँ l
और खुद बकरा बन बैठा हूँ ll

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