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हाँ, मैं छुपा रुस्तम हूँ
नजर हर एक पर मैं रखता हूँ
जासूस नहीं पर स्टाइलिश बंदा हूँ
पल-पल की खबर मैं रखता हूँ
धरती हो या सूरज नाता मैं सबसे रखता हूँ
साथ मैं सभी का निभाता हूँ l
हाँ, मैं छुपा रुस्तम हूँ l
भले ही धरती के किसी कोने मे बसेरा है मेरा
पर रखता हूँ सोच जैसे मानो चाँद-सितारा l
गॉव के खेत-खलियान मे ही हूँ पला मैं बड़ा
और आज भी देशी के रोब से हूँ सामने सबके खड़ा l
स्वर्ग से प्यारा गॉव है हमारा..
हाँ, मैं छुपा रुस्तम हूँ l
तांत्रिक-मांत्रिक का अपना-अपना
विधि-विधान के रचाया खेल है यहाँ
किसको पता सर्कस वाला खेल है,
या फिर जिंदगी की मौलिकता का विस्तारित रूप है
मेरा मानो ये सर्कस वाला खेल,एक लत है..
लाइन मे लगने की सिर्फ जनता को आदत है ll
हाँ, मैं छुपा रुस्तम हूँ l
नजर हर एक पर मैं रखता हूँ
राजनितिकता का एक बेवफाई है l
राजनितिक-सामाजिक की ये सर्कस वाली कहानी है
राजनीती सर्कस वाला शेर है…..
और समाज खुद जोकर बन यहाँ बैठा है l
समाज को भ्रम मे लाना,
इनका हिस्सा मे एक-तिहाई है ll
और जनता को लाइन मे लगने की आदत है
जनता को फुर्सत सिर्फ लगने को लाइन मे बची है
बाकि समय ये अस्त-मस्त-ब्यस्त है
सर्कस वाला जोकर जो बन बैठा है ll
हाँ, मैं छुपा रुस्तम हूँ l
रोजगार देने की कहकर बात
लगा गए राशन दुकान के लाइन पर आप
लगा एक बार गए,दिखा एक बार गए,घूम सा हो गए……..
अब जनता को भली-भाली,
कामचोर वाला उपाधि का न्योता
भी तो देकर आपने ही गए l
मुर्ख बनाकर जनता को
लाइन मे लगा राशन दुकान के चावल देने मे लुभाएे l
गलती थी तो कल भी हमारी
और गलती है आज भी हमारी
पर सर्कस और लाइन वाली ज़िन्दगी से
छूटने की ना रहेगी प्रयास हमारी
जिंदगी की ट्विस्ट है हमारा ,
प्यारा-दुलारा(जोकर)…
सही कहा है किसी ने,
हमें ना हुक्म का इक्का बनना है ,
ना रानी या बादशाह !
हम जोकर ही अच्छे है…
जिसके नसीब में आयेंगे बाजी पलट देंगे …!!
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