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कैसे ये जमाना है बदला,
किस परिस्थितियों से है अंकुरित हुआ,
उचित या अनुचित पोषण पाकर,
हुआ आज है खड़ा..
मैंने पल पल है सब देखा l
सुना है मेरे हर एक सवालों से,
नाराज हो तुम….
आजकल, तुम्हारी नाराजगी मे भी,
मेरे सवालों का जवाब मैं ढूढ लेता हूँ l
चंद लब्जो के मेरे ख्याब नहीं,
जो ख्याबो से ही पूरा कर दू l
किसी ख्याबो की औकात नहीं,
जो मेरे ख्याबो मे तेरा प्यार बयां कर दू l
ज़ब मुझे पता चला की…
ख्याब मे सब जायज है !
तब ख्याब ने भी ख्याब से ख्याब,
देखने की परमिशन ना दी l
क्योंकि हर ख्याब के मोहब्बत मे,
कर चुका लॉक तेरा ही नाम था l
एक लड़का जिसके मोहल्ला मे भी,
कोई पहचान न था !
वोह पहचान मुझे मैसेंजर पर मिल पाया था l
जिंदगी की रास्ता आगमन किया मैसेंजर पर मैं,
ना जाने दिन वो लगा मुझे वैरी शार्ट था l
मैसेंजर पर जीने-मरने की वादा किया फिरता था.
पर यह भी पता था और शायद डर से,
सुबह की पहला मैसेज तुम्हे किया करता था l
वही वादे रीती-रिवाजों की रस्मे,
एक एप्प्स पर टिका हुआ था l
वादों मे इस तरह गुमनाम हो चुका था,
दहन मे ख्याब मे भी यह नहीं लाया कि,
वही वादे अनइंस्टाल के बटन पर,
मंडरा रहा यमराज स्वंम था l
सुबह सुबह गुमनाम था मैं,
पक्का ख्याब मे मुझे कोई गुमनाम किया होगा l
वफ़ाई की फल खाकर ही,
आशिक आज शायराना बना होगा l
बात अगर ख्याबो की है तो,
कुछ ख्याब मैंने खुले आँखों मे भी सजाया था.
ओर इन ख्याबो के टूटने की,
कोई हकीकत भी ही न था l
पर सजाया जिनके लिए ख्याब था ,
खुद वोह शख्स ख्याब बन आया था l
एक रोज शख्स वोह नजदीक मेरा था,
बात करने ही वाला था कि …..
ख्याब था ! टूट सा गया l
साथ जो तेरा छुटा, ये वादा निकला झूटा,
मैं ख्याबो को मिटा दूंगा तेरे याद मे..
मैं दुनिया भुला दूंगा तेरे ख्याबो मे.
बेवफा बेवफा बेवफा है तू….
झूठे थे वादे तेरे जिनको मैं समझ ना पाया,
दिल मेरे तोड़ के चलदी,एक दिन तू भी आयेगी l
जिस दिन ख्याबो मे दुबारा मिल गया,
कसम सैया की पूरी लाइफ न छोड़ूगा(उठूंगा) l
ख्याब था ! टूट सा गया ll
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