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मैं जीता-जगता सच हूँ
आसमान की बुलंदियों को चिर अब निकला हूँ
परिंदा हूँ मैं,
पिंजरे से हो आज स्वतंत्र हूँ l
जज्बा हूँ, क़यामत हूँ, मैं भूलभुलेईया मार्ग हूँ
राह चलते राहगीर हूँ,
अपने आप की खोज मे निकला हूँ
हाँ, मैं आग हूँ
मौत से खेलने का शौक रखता हूँ l
हवा हूँ,
साथ लिए सबको मैं जाता हूँ,
जहाज हूँ मैं,
विशाल समुन्दर को भी नीचे रखता हूँ
मैं वोह पंछी हूँ
हौसला लिए आशमान की अशीम,
ऊंचाईयों तक़ उड़ने का प्रण लिए निकला हूँ l
मेरा न किसी से बराबरी है,
ओर न ही मैं किसी से बराबरी रखता हूँ
वोह प्रकाश हूँ मैं,
जो अंधेरो की अहंकार मिटाता हूँ l
हाँ, मैं जिन्दा लाश हूँ
किसी के नखरे न आता हूँ
सोच हूँ,
दिमाग़ मे आता हूँ
पर समझ किसी के न आता हूँ l
भटकता हुआ आत्मा हूँ मैं,
सब कुछ मेरे नजर मे होता
पर मैं किसी के नजर न आता l
चाँद की चांदनी हूँ मैं,
ख्याबो की दुनिया मे बसता हूँ
दिल मे भारत माता का रहता हूँ
मैं देश का वोह शान हूँ,
देश के लिए जान हथेली पर लिए रखता हूँ l
देश के लिए जान हथेली पर लिए रखता हूँ ll
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