- 19 Posts
- 1 Comment
हाहाकार ही हाहाकार है..
चारों ओर प्यार की झनकार है…
सन्न रह जाता है..,
मिलती है, किसी को खुशियाँ तो,
कोई गम मे छाह जाता है
समझाए कोई उन्हे भी..,
ये आशिकी है, मर मिटने की..
आशमा जमींन एक कर जाता है
वोह है आशिकी…..
तलबार के नोक पर चले..
वोह है आशिकी…..
रात दिन एक कर देता..
वोह है आशिकी…..
चारो ओर फ़ैला यह गाथा है
प्यार भरा एक रहस्य हैं
न रुके ये, न झुके ये,
अपनी आसमां सी विश्वास लिए चले…
यह तो पवित्र बंधन है.
परस्पर प्यार की सम्बन्ध है
दुनिया छोटी सी लगती है,
चाँद सुनहरा सा लगता है
आशिकी मे आशिक,
पागल सा हरकते करने लगता है..
…अरे रहते हैं,
वो आशिक जो,
आशिकी की एक दुनिया बना लेते है
खूबियां हैं इनके कुछ,
रहता उलझा.. उलझा…
आशिकी मे कोई आशिक,
काट लेते नश हाथ के,
तो कोई जान गवा बैठते है
आशिकी मे आशिक..,
मेढक को सांप, ओर सांप को मेढक
समझ बैठते है, वोह है आशिकी
दुनिया होती उनकी आशिक भरा,
आशिकी को दुनिया ओर….
आशिक खुदा बन बैठते है
Read Comments