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जज़्बात

raxcy bhai
raxcy bhai
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ऊब सा गया हूँ….
संसार की इस भागदौड़ मे,
हर एक सीमाओं को,

लांघकर जो आया हूँ l
थके हारा घर से निकला था…
थके हारा घर जो लोटा हूँ l
बस अब ऊब सा गया हूँ ll
भाग-दौड़ की इस जिंदगी मे,
रास्तो के हर मुसीबतों मे,
अच्छे-बुरे की राहों मे,
कम्पटीशन के इन जमानो मे,
उन अकेली लम्हों ने,
भिड़ने मुसीबतो से सिखाया है..
मुसीबत की घड़ी मे,
हल निकालने को तो दिखलाया है l
कम्पटीशन की इस खुदगर्जी दुनिया ने,
स्वयं से सवाल करने सिखाया है l
कुछ करके दिखाना है,
कम्पटीशन की दुनिया है यारों,
कुछ करके दिखाना है l
फ़ैली यही बात चारो और है,
कुछ करके दिखाना हैll
मुसीबते आती है,
सबक दे जाती है…
डटे रहना सिखाया है,
मुसीबतों से भागना नहीं,
मुसीबतों को पछाड़ने सिखाया है l
कुछ करके दिखाना हैll
राते आती है,
राते जाती है…
पर यही विस्वास बनाए रखना है,
एक हर तकलीफो के सर झुकाना है
भाग-दौड़ की इस जिंदगी मे,
अब कुछ करके दिखाना है
जज्बा रखो जीतने का क्यूंकि
‘किस्मत’ बदले न बदले ,
पर वक्त जरुर बदलता है
बीत गई वो दिन हमारी,
ज़ब तकलीफे लगती थी भारी,
भाग-दौड़ की इस जिंदगी मे,
अब निकला हूँ,
तलाशने स्वंय को…
जाने-अनजाने, किन चरम परिस्थितियों से,
गुजरने के बाद मुलाक़ात,
स्वंय का स्वंय से होगा

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