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बेवफाई

raxcy bhai
raxcy bhai
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बेवफाई
जिंदगी की राह मे,
अपनों ने मुझे ठुकरा गए
इन रिश्तों की आर मे,
मुझे अपनों ने नकार गए l
चितरा उड़ा दिया मेरे जज़्बात को ,
अपने ही लोगो के चाहत को
नासमझ थे,मीठे उनके बातों पर आ गए
समझ न पाए अपनों के अपनापन को…
ये तो एक सिलसिला है ख्याबो का
अपनो से जुड़ी हर फासलो का
सताती है पल पल हर एक दफा,
गम अपनों से जुदा होने का l
तब मैं होश मे नहीं था
दिल पर कोई रोष न था l
नई नई ख्यालो को
दिल मे बसाये रखता था,
चांदनी की रातो मे,
आशमान की चाँद को लाने की
जूनून लिए फिरता था l
बेबाक मोहब्बत तुम्ही से तो करता था,
जैसे भी थे हम….
मोहब्बत तुम मुझे ही तो करती थी ll
रिश्तों की आर मे तुमको चाँदनी,
खुद चाँद समझ बैठे थे l
गुस्से को काबू करना सीख लिया था मैंने,
क्योंकि गुस्सा आना तुम्हारी आदत जो थी l
ख्यालो से खेल गए तुम. ….
मुझे इतर बितर कर गए,
धिक्कारा तो अपनों ने भी मुझे था ,
पर बेवफा तुम भी तो निकल गए l
तारों को टिमटीमाते देर नहीं लगती
तुम्हारी मोहब्बत बदलने को कोई टाइम नहीं लगती l
देर लगती है तो तुझे अपने रिश्तों को निभाने मे
अब ओर मेरे सांसो को थमते देर नहीं लगती ll

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