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सोलह आने के चार

raxcy bhai
raxcy bhai
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ले लो सोलह आने के चार
आया हूँ देर से पर स्वादिष्ट,
और गोल-मटोल सा लाया हूँ l
मेरे लड्डू है चाँद जैसे गोल,
नहीं है मेरे लड्डू का मोल l
ले लो सोलह आने के चार ll
आता हूँ महीने भर के बाद
झारखण्ड के जामताड़ा जिले का हूँ l
ईख का उपज होता वहां
तोड़ो-ताज़ा ईख का लड्डू तो लाया हूँ l
ले लो सोलह आने के चार ll
खाओगे मज़ा ले-ले कर
एक बार लोगे,तो बार-बार लोगे
नहीं लोगे तो ललचाओगे
दाम का मत करो मोल l
ले लो सोलह आने के चार ll
ख़ुशी-ख़ुशी से सब खाओगे
मेरे भाई-बहन,मौसा-मौसी,मुन्ना-मुन्नी
कुछ ही देर से लाया हूँ
लड्डू बना कर स्वादिष्ट लाया हूँ l
ले लो बत्तीस आने के चार ll
ईख जैसे स्वाद,लड्डू अब लाया हूँ
मुन्ना की नज़र लड्डू पर है,
मुन्ना का पापा पूछे क्या दर है
बस अब देर ओर ना करो,
ले लो बत्तीस आने के चार ll

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