- 4 Posts
- 0 Comment
बचपन…..
क्या था बचपन?
सोचता भी हूँ तो,
स्वप्न सा प्रतीत होता l
वो हर एक दिन,
मुझे क्यों सताता ll
याद बनकर रह गयी है,
याद पे आ ठहरी है l
बचपन तो होती सबकी
पर बचपना तो मेरा ही था l
मासूमियत की हर एक सुबह
झलक परती आँखों पर,
जब दिन तो होती थी रात ढलकर
पर रात दोस्तों की साथ ही होती l
हर एक वोह शाम,
जब देर हो जाती घर आने पे,
रहती खड़ी माँ मेरी इंतजार मे l
वह भी क्या दिन था,
मार कर मुझे माँ रोती खुद थी l
गॉव की वह एक छोटी सी,
प्राइमरी स्कूल याद आती मुझे,
जहाँ पढ़ाई साइड,
आईआईटी बॉम्बे(लफंगागिरी)फोकस था l
स्कूल के वह हर एक पल,
ज़ब टीचर छुट्टी देते समय से पहले..
मानो आशमान की बुलंदियों को छु आते ll
हर एक अरमान हमारी ,
आ गया पूरा करने का मौका सारी ,
दिन वही एक जुटता, बड़ी आस से था ll
वह दिन आज भी,
याद आता मुझे….
ज़ब किसी शिकायत से,
..टीचर आते घर मेरे,
पहर दोपहर घर ना आते,
..खौफ से पिता के l
वह दिन आज भी,
याद आता मुझे….
ज़ब हलवाई के दुकान से,
खाकर हलवाई निकल लेते पीछे से l
वह दिन आज सताता मुझे ll
आम के सीजन की
वह हर एक रोज याद आता मुझे,
ज़ब खाना छोड़,
निकलते लूटने आम के बगीचे को था l
मासूमियत की उम्र वो था,
ज़ब गलती किए बिना मार खाना मुझे ही था l
कहानी बन अब उभर आई हैं,
साहित्य लिखने का बक्त अब आई है l
बचपन की वह एक बाते
कहे भी तो क्या कहे,
एक हर बाते लगे,
आपको मुख्य सारांश जैसे l
ना कुछ पाने का आशा ,
ना कुछ खोने का डर…
वह तो बचपन ही था l
ये दौलत भी किया,
जो ना लोटा सके बचपन हमारी,
बचपन होती सबकी प्यारी-न्यारी ll
Read Comments