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अधिक स्रैण बनो, अधिक नर्म और नाजुक।

गोली लगे या छर्रा... कहेंगे बात खर्रा
गोली लगे या छर्रा... कहेंगे बात खर्रा
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अधिक स्रैण बनो, अधिक नर्म और नाजुक। तुम्हारा अहंकार व्यवधान पैदा करने की कोशिश करता है। तुम्हारा अहंकार तुम से कहता है “मजबूत बनो, मर्दाना बनो, यह बनो और वह बनो।’ पुरुष मर्दाना मानसिकता की दौड़ में मत पड़ो–इसे भूल जाओ। विश्रांत होओ। जो कुछ भी स्वाभाविक आता है वह सुंदर है। इस स्रैणता को आत्मसात कर लेना है। यह कमजोरी नहीं है; यह नाजुकता है। यह इतना मुलायम है कि तुम इसे कमजोरी समझने लगते हो। इसके बारे में “कमजोरी’ शब्द का उपयोग करना इसका मूल्य कम करना है। तुम्हारा अहंकार इसका मूल्य कम कर रहा है, इसकी भर्त्सना कर रहा है, तुम कमजोर हो रहे हो। अहंकार हमेशा नाजुकता को कमजोरी मानता है। इसी कारण सदियों से स्त्रियों को कमजोर लिंग समझा जाता रहा है। यह सत्य नहीं है; यह बस झूठ है। इस “कमजोरी’ शब्द को छोड़ दो–बस इसे नाजुकता कहो, स्रैणता कहो, और इसे घटने दो। यह सुंदर है।

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