hindi kavita........ (Meri kuch pasandeeda kavitaayein)
- 26 Posts
- 159 Comments
सुनते हैं कभी एक पेड़ था
रोज़ लोग आकर
दुखड़ा रोते उस पेड़ से
तरह तरह के लोग ,दुःख भी
सबके किसम किसम के …
एक दिन पेड़ के कोटर से कोई बोला
अँधेरे में आना
अपना दुःख यहीं बाँध जाना
उत्तर सबेरे मिल जाएगा …………
लोग सारी रात आते ही आते चले गए
सुबह बड़ी भीड़ थी
पेड़ के नीचे सन्नाटा भी …
ऊपर के कोटर से फिर वही आवाज़ उतरी
काफी से अधिक खुरदुरी
“हर दुःख को पढ़ लो
फिर आपस में अदल बदल कर लो
जिसे जो दुःख अपने से ज्यादा बेहतर लगे ”
…..
…..
बड़ा गुलापडा मचा …….
दोपहर तक सब भाग लिए
…..
एक भी विनिमय नहीं हुआ ……………………
………..
……
(कैलाश वाजपाई)
Read Comments