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बचपन में एक फ़िल्मी भजन सुना करते थे ,”बड़ी देर भई नन्दलाला ,तेरी राह तके ब्रज बाला ,ग्वाल बाल इक इक से पूछे कहाँ है मुरलीवाला ”| सच में कहाँ छुप कर बैठाहै वह देवकी नन्दन , नन्दकिशोर ,माँ यशोदा का प्यारा ,गोपियों का दुलारा,सुदामा अर्जुन का सखा , द्रोपदी की लाज बचाने वाला ,अन्याय के विरुद्ध शंखनाद करने वाला ,न्याय का रक्षक ,निडर ,कर्म का पाठ पढाने वाला हमारा कृष्णा कहाँ है ?आज कलयुग अपनी चरम प्रकाष्ठा पर है ,सब ओर अधर्म ही अधर्म कालिया नाग सा ज़हर फैला रहा है ,द्रोपदी जैसी कई बालाओं का आज हर घड़ी चीर हरण हो रहा है ,असत्य का बोलबाला है ,कई सुदामा गरीबी से झूझते हुये आज अपने प्रिय सखा को पुकार रहें है ,कान्हा कहाँ हो तुम ?हे प्रभु तुमने तो वचन दिया था कि अधर्म का नाश करने और धर्म को स्थापित करने तुम हर युग में आओगे |
हर वर्ष भाद्रपद माह की अष्टमी को पूरा भारत तुम्हारा हैप्पी बर्थडे ”कृष्ण जन्माष्टमी ” के रूप में धूमधाम से मनाता है |जगह जगह मन्दिरों को सजाया जाता है ,तुम्हारी लीलाओं की झांकियाँ निकाली जाती है .हिंडोले सजते है और तुम्हारा यशगाण किया जाता है ,ख़ास तौर पर तुम्हारा जन्मस्थल और तुम्हारी जन्मभूमि मथुरा में इस दिन देश विदेश से तुम्हारे भक्त इकट्ठे होकर हर्षोल्लास से तुम्हारा जन्मदिवस मनाते है लेकिन तुम्हारी लीलाओं में छुपे हुये सन्देश और श्रीमद भगवत गीता में जो उपदेश तुमने दिए है अगर हम उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करें तो हम अपना जीवन सफल बना सकते है |बाल्यावस्था से लेकर महाभारत तक तुम्हारा सम्पूर्ण जीवन ही से प्रेरणा से भरा हुआ है|फल की इच्छा न करते हुये कर्म करने की महिमा को तुमने बखूबी से श्रीमद भगवत गीता के माध्यम से बताया है बचपन में कालिया मर्दन किया ,अपने मामा कंस को मार कर तुमने अन्याय के प्रतिरोध में लड़ना सिखाया ,महाभारत में धर्म का साथ दिया और अधर्म को मिटाया |
हे गोवर्धनधारी ,मनमोहन ,कन्हाई ,बंसीधर तेरी लीला अपरम्पार है ,बाल्यकाल में माँ यशोदा को माटी मुख में रख सम्पूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन करवाने वाले हमारी प्रार्थना स्वीकार करें ,अपने सखा अर्जुन को विराट रूप दिखाने वाले प्रभु हमारी प्रार्थना स्वीकार करें ,हम भारतवासियों पर अपनी अनुकम्पा करे और हम सब तुम्हारे बताये हुये मार्ग पर चल कर स्वयं को ,समाज को और देश को उत्थान की ओर लेकर जायें| ”हैप्पी बर्थडे कृष्णा ” तुम्हारे जन्मोत्सव पर आप हमारी यह प्रार्थना स्वीकार करें |
रेखा जोशी
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