- 20 Posts
- 23 Comments
प्यार मोहब्बत जिन्दगी का एक अहम हिस्सा है लेकिन भारतीय समाज में शादी ब्याह जैसे मामलों को भी कम आंककर नहीं देखा जा सकता. विदेशों में भले ही विवाह के पश्चात पति-पत्नी अपने परिवार से अलग रहने और अपना निजी जीवन जीने के लिए स्वतंत्र रहते हैं लेकिन भारत में विवाह की अवधारणा सिर्फ पति-पत्नी तक ही सीमित नहीं रहती क्योंकि ये ऐसे रिश्ते हैं जो परिवार को भी एकसाथ बांधकर रखते हैं. ऐसे हालातों में अगर किसी मनमुटाव या फिर अन्य किसी समस्या की वजह से दंपत्ति अपने परिवार से अलग रहने की बात सोच भी लें तो यह बड़ी परेशानी का सबब बन जाता है. सास-बहु के किस्से और उनके बीच होने वाले मतभेद के चलते पिसता तो बेचारा बेटा ही है जो ना तो खुलकर अपनी मां की साइड ले सकता है और ना ही मां के सामने पत्नी की हां में हां मिला सकता है.
अब बेचारा पति करे भी तो क्या!!
माइ न्यू फ्रेंड रोहित भी आजकल इसी समस्या में उलझा हुआ है क्योंकि उसकी पत्नी और मां की आपस में बिल्कुल नहीं बनती, जिसकी वजह से रोहित के सास-ससुर यानि उसकी पत्नी के माता-पिता उसपर को अपने परिवार से अलग होने जैसा दबाव डाल रहे हैं. लेकिन परेशानी यह है कि रोहित अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है और ऐसा कुछ नहीं करना चाहता जिसकी वजह से उसके माता-पिता को दुख पहुंचे. इसलिए वह चाहता है कि उसकी पत्नी और मां में संबंध जल्द से जल्द ठीक हो जाएं. बस उसे यही समझ नहीं आ रहा कि ऐसा होगा कैसे?
डियर रोहित, आपको एक बात बताऊं…. सास-बहु के बीच झगड़े होना शायद हर परिवार की नियती ही कहा जाएगा. फर्क बस इतना होता है कि मसले को कैसे डील किया जाए. आपका कहना सही है कि आप दोनों में से किसी एक की साइड नहीं ले सकते लेकिन आप एक काम जरूर कर सकते हैं और वो यह कि आप दोनों को एक साथ बैठाएं और शांतिपूर्वक उनसे पूछे कि दोनों को एकसाथ रहने और एक-दूसरे से बात करने में क्या परेशानियां हैं. सामने-सामने बात होगी तो आपको भी समझ आएगा कि किसका प्वॉइंट ऑफ व्यू कैसा है और फिर उसी अनुसार दोनों को समझाने का प्रयत्न कीजिए. घर में शांति बनाए रखना महिला के हाथ में होता है लेकिन अब जब महिलाएं ही आपस में उलझ पड़ी हैं तो ये पहल तो आपको ही करनी होगी.
Read Comments