Menu
blogid : 19157 postid : 1148901

महाभारत में धर्मराज युधिष्ठिर ने एक नहीं बल्कि कहे थे 15 असत्य

महाभारत में ऐसे कई पात्र है जिनके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है. इसी तरह पांडव भाईयों में युधिष्ठिर के जीवन से धर्म और सत्य मार्ग की प्रेरणा मिलती है. धर्मराज युधिष्ठिर पूर्वजन्म में यमराज थे. लेकिन एक श्राप के कारण उन्हें पृथ्वीलोक में जन्म लेना पड़ा. महाभारत में युधिष्ठिर द्वारा एक असत्य के बारे में तो हर कोई जानता है. वास्तव में अश्वत्थामा के विषय में बोले गए एक असत्य को आधे सत्य और आधे असत्य के रूप में माना जाता है. जिसमें गुरू द्रोण का वध करने के लिए श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने अश्वत्थामा नामक हाथी के मरने की खबर गुरू द्रोण को दी थी.



mahabharat virat parv

युधिष्ठिर के एक श्राप को आज भी भुगत रही है नारी

जिसे सुनकर गुरू द्रोण को लगा कि उनके पुत्र अश्वत्थामा की मृत्यु हुई है. जिसके कारण शोकवश वो भूमि पर गिर पड़े और इसी दौरान उनका वध कर दिया गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धर्मराज युधिष्ठिर ने इस आधे असत्य के अलावा पूरे 15 असत्य बोले थे. वास्तव में अज्ञातवश के दौरान पाडंवों ने अपनी वास्तविकता छुपाकर विराट में निवास किया था. इस दौरान जब विराट के राजा ने युधिष्ठिर से उनका परिचय बताने को कहा तो युधिष्ठिर ने कुल 7 असत्य बोले. अपना परिचय देते हुए युधिष्ठिर ने कहा

‘मेरा नाम कनक है. मैं एक ब्राह्मण हूं. वैयघरा नाम के ब्राह्मण परिवार से सम्बधित हूं. मैं युधिष्ठिर का मित्र हूं. मैं पाशे खेलने में बहुत कुशल हूं. मैं सुदूर एक नगर (काल्पनिक नाम) से आया हूं’ . साथ ही उन्होंने अपने परिवार के बारे में भी असत्य बोला.


aswathama elephant


इस असत्य के कारण सत्यवादी युधिष्ठिर को जाना पड़ा नरक

इसके अलावा अपने भाईयों का परिचय देते हुए युधिष्ठिर ने चारों भाईयों और पत्नी का नाम असत्य बताया. इस तरह युधिष्ठिर ने 5 असत्य और बोले. साथ ही धर्मराज ने कहा कि मेरा इन लोगों से कोई नजदीकी रिश्ता नहीं है और ये केवल मेरे परिचित है. इस प्रकार धर्मराज ने 2 असत्य और बोल दिए. अंतिम असत्य बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें कई राजाओं के दरबार में काम करने का अनुभव है. महाभारत में विराटपर्व में विराट सम्राट और युधिष्ठिर के बीच हुई वार्तालाप का प्रमाण मिलता है. जिसमें पाडंवों के अज्ञातवास से जुड़ी हुई घटनाएं मिलती हैं.


mahabharat 1


हांलाकि, धर्मराज युधिष्ठिर के द्वारा कहे गए इन असत्यों के बारे में सभी लोगों का अपना-अपना तर्क है. लेकिन ऐसा माना जाता है कि यदि धर्म की रक्षा के लिए ऐसा असत्य बोला जाए जिससे किसी की हानि न हो तो उसे असत्य की श्रेणी में नहीं रखा जाता. वास्तव में एक व्यक्ति का धर्म किसी अन्य के लिए अधर्म हो सकता है. ये सब परिस्थितियों पर निर्भर करता है…Next



Read more

अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध कर दिया होता तो महाभारत की कहानी कुछ और ही होती. पर क्यों नहीं किया था अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध?

रावण के ससुर ने युधिष्ठिर को ऐसा क्या दिया जिससे दुर्योधन पांडवों से ईर्षा करने लगे

परममित्र होकर भी सुदामा ने दिया था कृष्ण को धोखा, मिली थी ये सजा


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh