Menu
blogid : 19157 postid : 1344456

अभिमन्यु की मृत्यु के बाद यहां हर कोई जानता है चक्रव्यूह भेदना, महाभारत के तेरहवें दिन की कहानी

महाभारत में ऐसा योद्धा जिसकी आयु सबसे कम थी, लेकिन फिर भी उसकी वीरता को देखकर खुद कौरव भी हैरान थे. अभिमन्यु ऐसा योद्धा था, जो अर्जुन के अलावा चक्रव्यूह भेद सकता था, लेकिन कहा जाता है जब अभिमन्यु अपनी माता सुभद्रा के पेट में था, तब अर्जुन ने चक्रव्यूह भेदने की युक्ति सुभद्रा को बताई थी, लेकिन सुभद्रा सुनते-सुनते बीच में ही सो गई थी, इसलिए वो चक्रव्यूह में प्रवेश वाले अंश को ही सुन सकी जबकि चक्रव्यूह से बाहर आने वाले भाग से पहले ही वो सो गई थी, इस कारणवश अभिमन्यु को चक्रव्यूह का आधा ही रहस्य पता था.

kuru

कहा जाता है महाभारत में चक्रव्यूह भेदने के लिए अभिमन्यु अकेले ही उतरा था, लेकिन आखिरी चक्रव्यूह में प्रवेश करते ही कौरव सेना ने युद्ध के नियम को तोड़ते हुए अभिमन्यु को घेरकर उसका वध कर दिया. महाभारत में अभिमन्यु तो चक्रव्यूह नहीं भेद सका, लेकिन महाभारत की रणभूमि कुरूक्षेत्र में आज भी चक्रव्यूह रचने और भेदने का खेल खेला जाता है.

mahabharat 3

क्या था चक्रव्यूह

महाभारत में जिस चक्रव्यूह का प्रसंग आता है, उसका अर्थ है सैनिकों का ऐसा जाल जिसमें से कोई भी योद्धा आसानी से नहीं निकल सकता. कई हजार सैनिक मिलकर कई किलोमीटर की दूरी तक एक ऐसा चक्र बना लेते हैं, जिसमें प्रवेश करके कोई भी आसानी से बाहर नहीं जा सकता. हर तरफ से शत्रु सैनिकों से घिरे होने के कारण किसी भी योद्धा को आसानी से हराया जा सकता था. महाभारत में केवल कृष्ण, अर्जुन और अभिमन्यु को चक्रव्यूह भेदना आता था.  महाभारत में युद्ध के तेरहवें दिन अभिमन्यु के लिए चक्रव्यूह की रचना की गयी थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.

mahabharat

यहां हर बच्चा खेलता है चक्रव्यूह का खेल

माना जाता है कि महाभारत में हरियाणा की एक जगह तानेसर से अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में प्रवेश किया था. उस जगह को आज कुरूक्षेत्र, थानेसर के नाम से जाना जाता है. वहां के बच्चों को चक्रव्यूह भेदना आता है, यानी यहाँ पर चक्रव्यूह रचना और उसे भेदने को एक खेल की तरह खेला जाता है. कहा जाता है कि यहां के लोगों को ये कला प्राकृतिक रूप से मिली हुई है.


amin

कई घण्टे खेलने के बाद भी जीत-हार का फैसला नहीं हो पाता. मुख्य रूप से यहां पर अमिन (कुरूक्षेत्र, हरियाणा) नाम का एक गांव है, जहां पर आज भी बच्चे गलियों-गलियों में इस खेल को खेलते हैं. यहां से थोड़ी-सी दूरी पर एक किला है, जहां पर वीर योद्धा अभिमन्यु की वीरता की कहानियां सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

तो, देखा आपने कि महाभारत कलयुग में भी किस तरह जीवित है …Next



Read More :

केवल इस योद्धा के विनाश के लिए महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण ने उठाया सुदर्शन चक्र

श्री कृष्ण के संग नहीं देखी होगी रुक्मिणी की मूरत, पर यहाँ विराजमान है उनके इस अवतार के साथ

मरने से पहले कर्ण ने मांगे थे श्रीकृष्ण से ये तीन वरदान, जिसे सुनकर दुविधा में पड़ गए थे श्रीकृष्ण

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh