जिंदगी में हर बात और हर एक चीज के पीछे कोई न कोई तर्क छुपा होता है. पत्ते हरे क्यों होते हैं, मौसम क्यों बदलता है आदि छोटी सी छोटी बातों के पीछे भी तर्क है. लेकिन फिर भी हमारे आसपास ऐसी कई जगह मौजूद है जो सभी के लिए रहस्य का विषय है. आधुनिक हो चुकी दुनिया के पास भी उस बात का कोई जवाब नहीं है. ऐसा हमेशा देखा जाता है कि जिन बातों का जवाब देने में विज्ञान चुप रहता है, उन बातों या चीजों पर सबसे ज्यादा कहानियां सुनने को मिलती है. किसी के पास उस कहानी की प्रमाणिकता नहीं होती लेकिन फिर भी वो कहानी सालों-साल और पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है.
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ऐसा ही दिलचस्प नजारा देखने को मिलता है अजमेर शरीफ की दरगाह पर. वैसे तो यहां आने वाले लोगों को यहां की हर चीज बड़ी ही अद्भुत लगती है. दरगाह अजमेर शरीफ का भारत में बड़ा महत्व है. खास बात यह भी है कि ख्वाजा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है. यहां आने वाले श्रद्धालु चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाजा के दर पर दस्तक देने एक बार जरूर आना चाहते हैं. तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित दरगाह शरीफ वास्तुकला की दृष्टि से भी बेजोड़ है. यहां ईरानी और हिन्दुस्तानी वास्तुकला का सुंदर संगम देखने को मिलता है. दरगाह का प्रवेश द्वार और गुंबद बेहद खूबसूरत है. इसका कुछ भाग अकबर ने तो कुछ जहांगीर ने पूरा बनवाया था. माना जाता है कि दरगाह को पक्का करवाने का काम माण्डू के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने करवाया था. दरगाह के अंदर बेहतरीन नक्काशी किया हुआ एक चांदी का कटघरा है. इस कटघरे के अंदर ख्वाजा साहब की मजार है. यह कटघरा जयपुर के महाराजा राजा जयसिंह ने बनवाया था. दरगाह में एक खूबसूरत महफिल खाना भी है, जहां कव्वाल ख्वाजा की शान में कव्वाली गाते हैं.
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दरगाह के आस-पास कई अन्य ऐतिहासिक इमारतें भी स्थित हैं. वहीं कुछ कदम की दूरी पर चट्टान के पास हवा में तैरता हुआ पत्थर सभी के लिए उत्सुकता का विषय बना हुआ है. इस पत्थर से जुड़ी खास बात ये है कि बिना किसी के सहारे के यह पत्थर जमीन से 2 इंच की दूरी के साथ, ऊपर उठा हुआ है. इसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से यहां से आते है. यहीं नहीं यहां कई वैज्ञानिक भी इस पत्थर के रहस्य से पर्दा हटाने के लिए अनुसंधान करने के लिए आते हैं. लेकिन कोई भी इस पत्थर से जुड़ा तर्क देने में सफल नहीं रहा है.
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कई लोग इस पत्थर से जुड़ी हुई बहुत-सी कहानियां बताते हैं. एक कहानी के अनुसार ख्वाजा साहब ने अपने मानने वाले एक फरियादी को इस पत्थर से बचाया था. यह पत्थर तेजी से उस फरियादी की ओर बढ़ रहा था. यह देखकर उस फरियादी के होश उड़ गए. इस पर उसने सच्चे मन से ख्वाजा साहब को याद किया. तभी अचानक चमत्कार हुआ और देखते ही देखते वो पत्थर हवा के बीचों- बीच रूक गया. इस तरह से वो पत्थर हमेशा के लिए भक्तों के लिए खास बन गया…Next
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