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चाणक्य नीति: अपनी इन ताकतों से राजा, ब्राह्मण और स्त्री कर सकते हैं दुनिया पर राज

जीवन में प्रत्येक व्यक्ति की कोई न कोई कमजोरी जरूर होती है जो उसकी सफलता में सबसे बड़ी बाधक बनती है लेकिन इससे उलट हर व्यक्ति की ताकत उसे विजय रथ की तरफ ले जाने में मुख्य भूमिका निभाती है. बहुत से लोग अपनी कमजोरी और ताकत को बखूबी जानते हैं लेकिन आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्रों में कुछ विशेष लोगों की ताकत के जुड़े हुए पहलुओं को बताया गया है जिसे जानकार लोग उसके अनुसार आचरण करके सफलता के नित नए आयामों को छू सकते हैं. वैसे तो स्त्री हो या पुरुष, सभी के पास कुछ गुण और कुछ शक्तियां अवश्य होती हैं जिनसे वे अपने कार्य सिद्ध कर सकते हैं. आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि राजा, ब्राह्मण और स्त्री की सबसे बड़ी ताकत क्या होती है.


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आचार्य चाणक्य कहते हैं राजा, ब्राह्मण और स्त्री को आदिकाल से ही विशेष दर्जा दिया जाता है किसी भी राष्ट्र या परिवार के विकास या पतन में इन तीनों के आचरण को खास नजरिए से देखा जाता है आज भी राजा यानि किसी भी देश के प्रधानमंत्री, ब्राह्मण (ज्ञानी) और महिलाओं को देश के विकास में प्रमुख स्तंभ के रूप में माना जाता है.

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बाहुबल है राजा की ताकत

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी राजा की शक्ति उसका स्वयं का बाहुबल है. वैसे तो किसी भी राजा के अधीन उसकी सेना, मंत्री और अन्य राजा रहते हैं लेकिन उसका स्वयं का ताकतवर होना भी जरूरी है यदि कोई राजा स्वयं शक्तिहीन है तो वह किसी पर राज नहीं कर सकता. राजा जितना शक्तिशाली होगा उतना ही अच्छा शासक रहता है. इसीलिए यह जरूरी है कि राजा बाहुबल से भी शक्तिशाली हो.

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ज्ञान है ब्राह्मण की ताकत

किसी भी ब्राह्मण की शक्ति उसका ज्ञान है. ब्राह्मण जितना ज्ञानी होगा वह उतना ही अधिक सम्मान प्राप्त करेगा. ईश्वर और जीवन से संबंधित ज्ञान ही किसी भी ब्राह्मण की सबसे बड़ी शक्ति हो सकती है.


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सौंदर्य और मीठी वाणी है स्त्रियों की ताकत

आचार्य चाणक्य कहते हैं किसी भी स्त्री का सौंदर्य और यौवन ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है. यदि कोई स्त्री सुंदर नहीं है लेकिन मधुर व्यवहार वाली है तब भी वह जीवन में कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करती है. मधुर व्यवहार से ही स्त्री मान-सम्मान प्राप्त करती हैं…Next

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