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अर्जुन और नागकन्या उलुपी का पुत्र था अरावन, महाभारत के युद्ध में ऐसे दिया था अपना बलिदान

हिन्दू धर्म में ऐसे कई देवी-देवता है जो अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। जैसे, भगवान शिव को दैत्य और देवता सभी के भगवान के रूप में जाना जाता है। वहीं श्रीकृष्ण को धर्म और प्रेम के देवता के रूप में माना जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नर किसे अपने देवता के रूप में पूजते हैं।वास्तव में अर्जुन और उलुपी के पुत्र ‘अरावन’ किन्नरों के देवता है। महाभारत में इनके बलिदान को बहुत कम लोग जानते हैं- 

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal3 Sep, 2019

 

Pic Courtesy : Haryana Tourism 

 

महाभारत में इससे सम्बधित एक कथा मिलती है जिसके अनुसार महाभारत की कथा के अनुसार एक बार अर्जुन को, द्रौपदी से शादी की एक शर्त के उल्लंघन के कारण इंद्रप्रस्थ से निष्कासित करके एक साल की तीर्थयात्रा पर भेजा जाता है। वहां से निकलने के बाद अर्जुन उत्तर पूर्व भारत में जाते है जहां उनकी भेंट एक विधवा नाग राजकुमारी उलूपी से होती है. दोनों एक-दूसरे से प्रेम करने लगते हैं। विवाह के कुछ समय पश्चात, उलूपी एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम अरावन रखा जाता है। पुत्र जन्म के पश्चात अर्जुन  उन दोनों को छोड़कर अपनी आगे की यात्रा पर निकल जाते हैं।

 

aravan god

 

अरावन नागलोक में अपनी मां के साथ ही रहते हैं। युवा होने पर वो नागलोक छोड़कर अपने पिता के पास आ जाते हैं। कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन उसे युद्ध करने के लिए रणभूमि में भेज देते हैं। युद्ध में एक समय ऐसा आता है जब पांडवो को अपनी जीत के लिए मां काली के चरणों में नर बलि हेतु एक राजकुमार की जरुरत पड़ती है। जब कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है तो अरावन खुद को  नर बलि हेतु प्रस्तुत करता है लेकिन वो शर्त रखता है कि वो अविवाहित नहीं मरेगा। इस शर्त के कारण बड़ा संकट उत्पन्न हो जाता है क्योंकि कोई भी राजा, यह जानते हुए कि अगले दिन उसकी बेटी विधवा हो जायेगी, अरावन से अपनी बेटी की शादी के लिए तैयार नहीं होता। जब कोई मार्ग नहीं बचता है तो भगवान श्रीकृष्ण स्वंय को मोहिनी रूप में बदलकर अरावन से शादी करते है। अगले दिन अरावन स्वंय अपने हाथों से अपना शीश मां काली के चरणों में अर्पित करता है। अरावन की मृत्यु के पश्चात श्रीकृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक उसकी मृत्यु का विलाप भी करते है। अब चुकी श्री कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में अरावन से शादी रचाते है इसलिए किन्नर, जो की स्त्री रूप में पुरुष माने जाते है, वो अरावन से एक रात की शादी रचाते है और उन्हें अपना आराध्य देव मानते है।..Next

 

 

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