हिंदू पंचांग के अनुसार कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें होलिका दहन तक नहीं करने की सलाह दी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक शुभ कार्यों को पूर्णता वर्जित बताया गया है। इसी क्रम में 5 ऐसे कार्यों का वर्णन शास्त्रों में मिलता है जिन्हें इन दिनों में करना अमंगलकारी बताया गया है। इन कार्यों को करना जोखिम उठाने के समान माना गया है। आइये जानते हैं कौन से कार्यों की मनाही है।
03 से 09 मार्च ठीक नहीं!
हिंदू मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा के दौरान आने वाले 8 दिनों को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दिनों को नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसीलिए इसे अमंगलकारी बताया गया है। इसी वजह से इन दिनों में शुभ कार्यों को वर्जित किया गया है। इन कार्यों में 5 ऐसे हैं जिन्हें भूलकर भी न करने को कहा गया है। इस बार होलाष्टक के 8 दिन 03 मार्च से 09 मार्च तक रहेंगे। 09 को होलिका दहन के बाद होलाष्टक खत्म हो जाएगा और फिर सभी कार्य सामान्य रूप से किए जा सकेंगे।
मुंडन एवं नामकरण
होलाष्टक के दिनों में सर्वप्रथम जिस कार्य की मनाही बताई गई है वह मुंडन और नामकरण संस्कार। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन 03 मार्च से 09 मार्च के दरमियान किसी भी बच्चे का मुंडन संस्कार और नामरण नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अमंगलकारी और अपशगुन माना गया है।
निर्माण कार्य
होलाष्टक के 8 दिनों में किसी भी तरह के निर्माण कार्य की भी मनाही बताई गई है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भवन की शांति और खुशहाली समाप्त हो जाती है। यहां रहने वाले व्यक्ति को हमेशा परेशानियां घेरे रहती हैं। ऐसे में इस तरह के कार्यों से बचना चाहिए।
सपंत्ति खरीदारी
फाल्गुन माह की अष्टमी से पूर्णिमा तक किसी भी तरह की संपत्ति खरीदारी से बचने की बात शास्त्रों में कही गई है। इन दिनों में मकान, दुकान, वाहन, जमीन और जेवरात की खरीद से बचने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से मालिक को संपत्ति का सुख मिलने की बजाय दूसरे ही उसका फायदा उठाते हैं।
नौकरी और व्यापार
अमंगलकारी दिनों में नौकरी छोड़ने और नई जगह ज्वाइन करने को भी शुभ नहीं माना गया है। इन दिनों में नए व्यापार की शुरुआत को भी अपशगुन के तौर पर देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इन दिनों में नौकरी और व्यापार शुरू करने वालों की सफलता में बाधा खड़ी हो जाती है और वह तमाम प्रयासों के बावजूद तरक्की हासिल नहीं कर पाते हैं।
विवाह, हवन, अनुष्ठान
होलाष्टक के दिनों में विवाह करना, हवन यज्ञ या फिर किसी अन्य तरह के अनुष्ठान के आयोजन को वर्जित किया गया है। इन दिनों में विवाह से वैवाहिक जीवन अशांति से भरा रहता है और क्लेश उत्पन्न होता है। यूं तो इन दिनों में पूजा आराधना वर्जित नहीं है लेकिन किसी भी तरह के यज्ञ हवन और अनुष्ठान करने पर पाबंदी है। ऐसा करने से खुशहाली मिलने की बजाय दुख भरे दिन शुरु हो सकते हैं।…Next
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