हिंदू कैलेंडर में वसंत पंचमी को बड़ा महत्व दिया गया है। शास्त्रों के मुताबिक माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। इसीलिए पूरे भारत में इस दिन देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती के अलावा दो देवताओं की पूजा करना आवश्यक बताया गया है।
ब्रह्मदेव से देवताओं का निवेदन
पौराणिक कथा के अनुसार सृष्टि पर मूढ़ और जड़बुद्धि हो रहे भटके लोगों को पाप के रास्ते से हटाकर पुण्य के रास्ते पर लाने के लिए ब्रह्म देव के पास सभी देवता पहुंचे। देवताओं ने ब्रह्मदेव से विनती कि पृथ्वी पर मनुष्य पागल हो गए हैं उनकी बुद्धि और विवेक ने काम करना बंद कर दिया है। इस वजह से चारों ओर पाप बढ़ता जा रहा है। मुनि और तपस्वी लोगों के अनाचार से व्याकुल हैं। इस समस्या को जल्द से खत्म करना होगा।
पीत वस्त्र धारणकर खुश हुए देव
देवताओं की विनती पर ब्रह्म देव ने अपने मुख से देवी को उत्पन्न किया, जिन्हे सरस्वती देवी के नाम से पूरी सृष्टि ने जाना। सरस्वती को ब्रह्म देव ने शांति, बुद्धि, ज्ञान, संगीत, कला और रचना की अधिष्ठात्री बनाया। सरस्वती ने पृथ्वी पाप नष्ट किए और लोगों को सत्कर्म की ओर लौटने की सद्बुद्धि दी। इस अवसर पर देवताओं ने पीत वस्त्र धारण किए। इसलिए वसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करने का विधान है।
भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा
वसंत पंचमी को देवी सरस्वती के अलावा भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा का विधान भी बताया गया है। भगवान विष्णु ने माघ माह की पंचमी तिथि को सृष्टि में ऊर्जा का संचार किया था। जबकि, कामदेव ने वसंत पंचमी के दिन पत्नी रति के साथ पृथ्वी भ्रमण कर लोगों में प्रेम की भावना को विकसित किया था। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती, भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा करने से ज्ञान, ऊर्जा और प्रेम का वास होता है।…Next
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