पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ का देवी पार्वती से विवाह करना इस ब्रह्मांड की सबसे बड़ी घटना मानी जाती है। भोलेनाथ से विवाह के लिए अड़ीं पार्वती की जिद के बाद जब भोलेनाथ बारात लेकर देवी पार्वती के दरवाजे पहुंचे तो पार्वती की माता ने विवाह से इनकार कर दिया था। पार्वती की माता ने भोलेनाथ को दरवाजे से लौटा दिया था। इसके बाद ब्रह्मा, विष्ण समेत सभी देवताओं और पूरी सृष्टि को धरती पर आना पड़ गया था।
सती के बाद पार्वती रूप में जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिमनरेश हिमावन और मैनावती के घर जन्मीं पार्वती ने प्रण लिया था कि वह विवाह करेंगी तो सिर्फ भोलेनाथ से ही। भोलेनाथ वैरागी थे और औघड़ स्वरूप में कैलाश पर्वत पर तपस्या में लीन रहते थे। पूर्व जन्म में पार्वती राजा दक्ष के यहां सती के रूप में जन्मीं थी और उनका विवाह भोलेनाथ से हुआ था, लेकिन भोलेनाथ का अपने पिता दक्ष से अपमान होने से क्रोधित होकर सती यज्ञ में समा गई थीं। पुनर्जनम में सती पार्वती के रूप में जन्मीं और पुना भोलेनाथ से विवाह करने का संकल्प लिया।
भोलेनाथ से प्रेम और विवाह का प्रस्ताव
भोलेनाथ के रूप पर मोहित देवी पार्वती ने उनके सामने प्रेम निवेदन रखा और विवाह की इच्छा रख दी। इस पर भोलेनाथ ने पार्वती को बताया कि वह वैरागी और औघड़ हैं। वह तपस्या में लीन रहते हैं और उनका सांसारिक सुखों से कोई वास्ता नहीं है। इसलिए पार्वती उनसे विवाह की इच्छा छोड़ दें। पार्वती अपने प्रेम निवेदन के अस्वीकार किए जाने से क्रोधित हो गईं और भोलेनाथ से ही विवाह का प्रण लेकर तपस्या में लीन हो गईं। पार्वती की तप से तीनों लोकों में कोलाहल मच गया, पर्वत श्रंखलाएं डगमगाने लगीं और सृष्टि में उथल पुथल मच गई। भोलेनाथ अपने प्रति पार्वती का अगाध प्रेम देख पिघल गए और विवाह के लिए राजी हो गए।
दूल्हे का रूप देख विवाह से इनकार
पार्वती ने सांसारिक तरीके से विवाह करने का भोलेनाथ से वचन लिया और बारात घर लाने के लिए कहा। चूंकि भोलेनाथ वैरागी थे और औघड़ वेश में रहते थे इसलिए वह पारिवारिक रिश्तों से दूर थे। लिहाजा बारात में वह अपने साथ गणों, भूत, पिशाचों को लेकर बैल नंदी पर सवार होकर पहुंचे और खुद नरमुंड पहन लिया और भभूत से श्रंगार कर पार्वती के घर पहुंच गए। बारात के स्वागत के लिए दरवाजे पर खड़ी पार्वती की मां मैनावती ने जब दामाद भोलेनाथ के हुलिये को देखा तो वह घबराकर बेहोश हो गईं। किसी तरह होश में आईं तो उन्होंने भोलेनाथ को अपनी बेटी पार्वती ब्याहने से मना कर दिया।
पूरी सृष्टि बनी बाराती
विवाह से इनकार करने पर हाहाकार मच गया, सृष्टि डगमगाने लगी और बैकुंठ में विराजमान भगवान विष्ण की शैय्या हिलने लगी। भोलेनाथ के कोप का कारण जान तत्काल भगवान विष्णु और ब्रह्मा अन्य देवताओं के साथ हिमालय पर्वत पर पहुंचे। उन्होंने भोलेनाथ का मनमोहक श्रंगार कर और वर वेश में तैयार कर दिया। इसके बाद भोलेनाथ की बारात सृष्टि के नायक ब्रह्मा, विष्णु के नेतृत्व में देवताओं को लेकर पार्वती के घर पहुंचे। भोलेनाथ की बारात में देव, असुर, गंधर्व, किन्नर समेत सृष्टि के हर जीव ने भाग लिया। भोलेनाथ मोहक रूप और असलियत जानकर मैनावती ने उन्हें अपना दामाद स्वीकार कर लिया।…Next
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