स्थान है. भीमाशंकर महाराष्ट्र के पुणे शहर से लगभग 110 कि.मी. दूरी पर सहाद्रि पर्वत पर स्थित है. यहां पूरे वर्ष शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है. मान्यता है कि यहां आने वाला भक्त खाली हाथ नहीं जाता. इस स्थान के पीछ कुंभकर्ण के पुत्र भीम की एक कथा प्रसिद्ध है. जानिए छठे ज्योतिर्लिंग की स्थापना और इससे जुड़ी कोई और दार्शनिक बातें.
ज्योतिर्लिंग की स्थापना– मान्यता है कि कुंभकर्ण को कर्कटी नाम की एक महिला से प्रेम हो गया था, जिसके बाद दोनों ने विवाह कर लिया. विवाह के बाद कुंभकर्ण लंका लौट आए, लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रही. कर्कटी से कुंभकर्ण को एक पुत्र हुआ जिसका नाम भीम रखा गया. इधर श्रीराम ने कुंभकर्ण का वध कर दिया तो कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं के छल से दूर रखने का फैसला किया. परन्तु बड़े होने पर जब भीम को अपने पिता के मृत्यु का कारण पता चला तो उसने देवताओं से बदला लेने का निश्चय कर लिया. क्रोधित भीम ने ब्रह्मा की आराधना से ढ़ेरों शक्तियां ग्रहण कर ली थी.
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भीम का वध
कथा अनुसार भीम ने कामरूपेश्वप राजा को शिवलिंग की पूजा करते हुए देखा. उसने राजा को भगवान की पूजा छोड़ खुद की पूजा करने को कहा. जब राजा ने भीम की बात नहीं मानी तो उसे बंदी बना लिया. राजा ने बंदीगृह में ही शिवलिंग बना कर पूजा करने लगा. यह देख भीम बहुत क्रोधित हुआ और तलवार से शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया. उसी समय शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हो गए और भीम का वध कर दिया. देवताओं के कहने पर शिवलिंग के रूप में भगवान शिव उसी स्थान पर स्थापित हो गए. तब से इस स्थान का नाम भीमाशंकर पड़ गया.
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यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है. इस मंदिर को नागर शैली में बनाया गया था. मंदिर के कई हिस्सों में इंडो-आर्यन शैली भी देखी जा सकती है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग आने के लिए साल का कोई भी समय चुना जा सकता है, परन्तु महाशिवरात्रि के समय यहां पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.Next…
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