Menu
blogid : 19157 postid : 1111169

भीष्म की बताई गई इन चार आदतों को अपनाकर टल सकती अकाल मृत्यु

कहते हैं जन्म और मृत्यु दोनों भगवान ने पहले ही लिख दी होती है. इसमें कोई भी इंसान कुछ नहीं कर सकता लेकिन महाभारत की कहानियों से ऐसा प्रतीत होता है कि व्यक्ति अपने आचरण को सुधारकर अपनी किस्मत को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद राजा बने युधिष्ठिर जब रणभूमि में तीरों की शैय्या पर लेटे भीष्म से राजनीति की शिक्षा लेने गए, तब उन्होंने युधिष्ठिर को ऐसी चार आदतों के बारे में बताया जिन्हें अपनाकर व्यक्ति न सिर्फ अपनी किस्मत को बदल सकता है बल्कि आकस्मिक मृत्यु को भी पीछे छोड़ सकता है. आज महाभारत को समाप्त हुए सदियां बीत चुकी हैं लेकिन भीष्म की बताई हुई ये चार सीख आज भी सार्थक है. आइए जानते है उन चार आदतों के बारे में.


bhisma2

Read : अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध कर दिया होता तो महाभारत की कहानी कुछ और होती पर क्यों नहीं किया अर्जुन ने युधिष्ठिर का वध?

छल-कपट न करना

जो व्यक्ति हमेशा सदाचार का पालन करता है, छल-कपट जैसी भावनाएं जिसके मन में नहीं रहती, उसका मन हमेशा प्रसन्न रहता है. मनुष्य को छल-कपट जैसे भावों से दूर रह कर, अपना मन देव भक्ति और पूजा में लगाना चाहिए. ऐसा करने से उसका मन शांत रहता है। शांत मन ही स्वस्थ शरीर की निशानी होती है. इस गुण को पालन करने पर मनुष्य अधिक समय तक जीवित रहता है.

हमेशा सच बोलना

झूठ बोलना कई लोगों के स्वभाव में होता है. झूठ बोलकर वे पल भर के लिए तो मुसीबत से बच जाते हैं, लेकिन आगे चल कर उन्हें उसका परिणाम झेलना ही पड़ता है. झूठ बोलने से न की सिर्फ मनुष्य की छवि खराब होती है, बल्कि उसके स्वास्थय पर भी बुरा असर पड़ता है. वो अक्सर अपना झूठ पकड़े जाने के डर से चिंता में रहता है, बेचैन रहता है. यही चिंता उसकी सेहत पर लगातार बुरा असर डालती है. लम्बी उम्र के लिए असत्य बोलने से बचना चाहिए.

Read : इस मंदिर में की जाती है महाभारत के खलनायक समझे जाने वाले दुर्योधन की पूजा

क्रोध न करना

क्रोध को मनुष्य की सबसे बड़ा दुश्मन कहा जाता है. बेवजह या अत्यधिक गुस्सा करने से मनुष्य के मन- मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है. जो उसकी आयु को कम करता जाता है. गुस्सा हमारे स्वभाव को धीरे-धीरे हिंसक बना देता है. क्रोध न करने वाले या शांत स्वभाव वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उसे निश्चित ही लंबी उम्र तक जीता है.

हिंसा न करना

अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है. मार-पीट, लड़ाई-झगड़े या हिंसा करने वाला व्यक्ति दूसरों को तो कष्ट पहुंचाता ही है, साथ ही खुद का भी नुकसान करता है. जो व्यक्ति दूसरों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करता है और उनकी रक्षा करता है, उन पर भगवान हमेशा प्रसन्न रहते है. इस गुण का पालन करने वाले की आयु निश्चित ही लम्बी होती है. हिंसा भी तीन तरह की मानी गई है, मन से, वचन से और कर्म से. मन से हिंसा का मतलब है किसी के बारे में लगातार बुरा सोचना. वचन से हिंसा का मतलब है कि किसी के बारे में बुरा बोलना, भ्रामक बातें फैलाना तथा कर्म से हिंसा मतलब शारीरिक रुप से कष्ट पहुंचाना…Next

Read more :

महाभारत युद्ध में अपने ही पुत्र के हाथों मारे गए अर्जुन को किसने किया पुनर्जीवित? महाभारत की एक अनसुनी महान प्रेम-कहानी

क्यों चुना गया कुरुक्षेत्र की भूमि को महाभारत युद्ध के लिए

आज भी मृत्यु के लिए भटक रहा है महाभारत का एक योद्धा

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh