दिल्ली से 600 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुल्लू अपनी खूबसूरती और हरियाली के लिए पूरे विश्वभर में प्रचलित है. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस पर्यटन स्थल को घाटियों में संगीत घोलते झरनों, वादियों, हरे-भरे मैदानों, चरागाहां और सेब के बागों की वजह से जाना जाता है.
लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि कुल्लू का इतिहास भगवान शंकर से भी जुड़ा है. यहां की प्रचीन मंदिर ‘बिजली महादेव’ शिव भक्तों के लिए आस्था का केंद्र भी है. यह मंदिर घाटी के ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत के ऊपर बना हुआ है.
क्या है मान्यता
कुल्लू घाटी के लोगों का मानना है कि कई हजार साल पहले कुलान्त नामक दैत्य यहां रहता था. अजगर की तरह दिखने वाला यह दैत्य ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमग्न करना चाहता था. वह यहां रह रहे जीवजंतु को मिटाना चाहता था. लेकिन जब यह बात भगवान शिव को मालूम पड़ी तो उन्होंने दैत्य रूपी अजगर को अपने विश्वास में ले लिया. भगवान शिव ने उसके कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है. इतना सुनते ही जैसे ही कुलान्त पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलान्त के सिर पर त्रिशूल से वार कर दिया. जिसके बाद उसकी मौत हो गई.
कुलान्त के मरने के उपरांत
अजगर कुलान्त के मरने के उपरांत उसका शरीर विशालकाय पर्वत के रूप में तब्दील हो गया और पूरे क्षेत्र में फैल गया. ऐसा माना जाता है कि कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित है. धारणा यह भी है कि कुल्लू का नाम कुलान्त के नाम से ही पड़ा.
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बारह साल में एक बार बिजली गिरती है
कुलान्त दैत्य के मरने के बाद बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिरती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने ही इंद्र से हर बारहवें साल में यहां आकाशीय बिजली गिराने को कहा था. साथ ही शिव यह नहीं चाहते थे कि बिजली गिरने से जन-धन का कोई नुकसान हो इसलिए ‘बिजली महादेव’ के मंदिर में बने शिवलिंग पर ही बिजली गिरती थी. भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं.
शिवलिंग पर बिजली गिरने से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है. शिवलिंग के टुकड़े इकट्ठा करके शिवजी का पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर लेता है. कुछ समय पश्चात पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है. कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग सात किलोमीटर है. जहां हर शिवरात्रि भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. हर मौसम में दूर-दूर से लोग बिजली महादेव के दर्शन करने आते हैं…Next
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