Menu
blogid : 19157 postid : 877770

भूकम्प में ढही इस स्तूप का निर्माण स्वर्ग से उतरी अप्सरा के पुत्रों ने करवाया

25 अप्रैल, 2015 का दिन नेपाल के नागरिकों और उससे बढ़कर वैश्विक मानव समुदाय को जो क्षति पहुँचा गया उसकी पूर्ति मुश्किल है. हजारों इंसानों-पशुओं की मौत के साथ ही नेपाल के विश्व प्रसिद्ध स्मारक ढह गये.


boudhnath stupa


इन समारकों में बौद्धनाथ स्तूप, पशुपतिनाथ मंदिर का हिस्सा आदि को नुकसान पहुँचा है. राहत कार्यों के बाद भूकम्प-पीड़ितों और प्रभावितों के पुर्नवास पर ध्यान दिया जायेगा और यह भी सम्भव है कि ढहे हुए मंदिरों, स्तूपों के हिस्सों को पुर्ननिमाण हो. इस कामना के साथ कि जल्द ही ये मंदिर और स्तूप अपने पुराने आकार में वापस आ जायें पढ़िये बौद्धनाथ स्तूप का से जुड़ी किंवदंतियाँ:-


Read: कलियुग में ऐसे लोगों का उद्धार करते हैं ये भिक्षु


काठमांडू स्थित बौद्नाथ स्तूप का निर्माण तब किया गया था जब तिब्बत के राजा सोंगसेन गैम्पो ने बौद्ध पंथ को अपना लिया. किंवदंतियों के अनुसार राजा गैम्पो ने अपने पिता की हत्या का प्रायश्चित करते हुए इस भव्य स्तूप का निर्माण करवाया था. हालांकि, 14 वीं शताब्दी में मुगल आक्रांताओं ने इस स्तूप को ध्वस्त कर दिया.


boudhnath stupa nepal


इस स्तूप में महात्मा बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति के लिये अपनाये गये रास्तों का 3-डी चित्रण है. बौद्धनाथ स्तूप के स्तंभ पृथ्वी का ,कुम्भ जल का, हर्मिका अग्नि का, शिखर वायु का और छत आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस प्रकार यह प्राचीन स्तूप पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करते दिखते हैं. स्तूप के आधार के आस-पास ध्यानी बुद्ध अमिताभ का 108 छोटी-छोटी आकृति बनी हुई है. तिब्बती संस्कृति में संख्या 108 का विशेष महत्तव है.


Read: इस गुफा में छुपा है बेशकीमती खजाना फिर भी अभी तक कोई इसे हासिल नहीं कर पाया…!!


किंवदंतियों के अनुसार महात्मा बुद्ध के निर्वाण के बाद ही इस स्तूप का निर्माण कराया गया था. पूर्वजन्म में जाजिमा नामक अप्सरा ने स्वर्ग के अपने गुणों को त्याग पृथ्वी पर एक साधारण परिवार के घर जन्म लिया था. विवाह की उम्र होने पर उसकी शादी चार व्यक्तियों से हुई जो पशुओं के व्यापारी थे. इन चारों से उसे एक-एक पुत्र की प्राप्ति हुई. चारों पुत्रों ने इस स्तूप के निर्माण की योजना बनायी. सात वर्षों की अथक मेहनत के बाद यह भव्य स्तूप बनकर तैयार हो गया.Next…


Read more:

क्या है रहस्य पूजा करने का…पढ़िए ओशो के विचार

इस मंदिर में की जाती है महाभारत के खलनायक समझे जाने वाले दुर्योधन की पूजा

क्या स्वयं भगवान शिव उत्पन्न करते हैं कैलाश पर्वत के चारों ओर फैली आलौकिक शक्तियों को



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh