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श्रीकृष्ण से भी जुड़ा है बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार, जिंदगी में सकरात्मकता के लिए इन चीजों से करें इस दिन की शुरुआत

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा (Vaishakha Purnima) को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा हर साल अप्रैल या मई महीने में आती है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 18 मई को है। भगवान बुद्ध ही बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं। यह बुद्ध अनुयायियों के लिए काफी बड़ा त्यौहार है। इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं। अलग-अलग देशों में वहां के रीति- रिवाजों और संस्कृति के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। श्रीलंका के लोग इस दिन को ‘वेसाक’ (Vesak) उत्सव के रूप में मनाते हैं जो ‘वैशाख’ शब्द का अपभ्रंश है।
ऐसे में अगर आप अपने जीवन में बदलाव के लिए कोई प्रण लेना चाहते हैं, तो आप आप इस दिन को चुन सकते हैं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal17 May, 2019

 

 

बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या करें
सूरज उगने से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें।
गंगा में स्नान करें या फिर सादे पानी से नहाकर गंगाजल का छिड़काव करें।
घर के मंदिर में विष्णु जी की दीपक जलाकर पूजा करें और घर को फूलों से सजाएं।
घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें।
-बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं।
गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें।
अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो आज के दिन उन्हें आज़ाद करें।
रोशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें।

 

इन चीजों को करने से बचें
बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या ना करें
बुद्ध पूर्णिमा के दिन मांस ना खाएं।
घर में किसी भी तरह का कलह ना करें
किसी को भी अपशब्द ना कहें।
झूठ बोलने से बचें।

 

 

श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है बुद्ध पूर्णिमा

माना जाता है कि वैशाख की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार के रूप में जन्म लिया। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे। इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे तब कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था। सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई। इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है। कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं। माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्‍न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है।

 

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