Menu
blogid : 19157 postid : 1387852

चैत्र नवरात्रि का है वैज्ञानिक महत्व, जानें क्या है कलश स्थापना की विधि

चैत्र नवरात्रि इस बार 18 मार्च से शुरू हो रह है और ये पर्व 25 मार्च तक चलेगा। इसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्र के दौरान लोग साफ-सफाई और खान-पान की चीजों का विशेष ध्यान रखते हैं। इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन यानि 25 मार्च को होगी। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का ज्यादा महत्व होता है। माना जाता है इस महीने से शुभता और ऊर्जा का आरंभ होता है और ऐसे समय में मां काली की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। ऐस मे चलिए जानते हैं आखिर क्या है नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व साथ ही कैसे करें कलश स्थापना।

 

 

 

 

नौ दिन होती है मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा

नवरात्रि के दौरान 9 दिन व्रत किया जाता है, मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना की जाती है। 25 मार्च नवरात्र के आखिरी दिन रामनवमी मनाई जाएगी। 26 मार्च को नवरात्र का व्रत तोड़ा जाता है। इन नौ दिनों मां के नौ रूपों की पूजा होती है। मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री।

 

 

 

क्या है चैत्र नवरात्रि का महत्‍व

1- ज्‍योतिषीय दृष्‍ट‍ि से चैत्र नवरात्रि विशेष महत्‍व है। चैत्र नवरात्रि में सूर्य का राशि परिवर्तन होता है।

2- सूर्य 12 राशियों का चक्र पूरा कर दोबारा मेष राशि में प्रवेश करते हैं और एक नये चक्र की शुरुआत करते हैं।

3- ऐसे में चैत्र नवरात्रि से ही हिन्दु नव वर्ष की शुरुआत होती है।

 

 

 

 

चैत्र नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व

चैत्र नवरात्रि के वैज्ञानिक महत्‍व की बात करें तो यह समय मौसम परिवर्तन का होता है, इसलिए मानसिक सेहत पर इसका खासा प्रभाव देखने को मिलता है। इस समय में अक्सर लोगों के बीमार पड़ने की आशंका रहती है ऐसे में का व्रत करना शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है।

 

 

 

 

नवरात्रि में कलश स्थापना विधि

अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो घर की साफ सफाई करें, इसके साथ ही आप पूरे घर में गंगाजल छिड़क कर भी इसे पवित्र कर सकते हैं। पूजा और कलश स्थपना में इस्तेमाल किए जानें वाले बर्तन जूठे ने हों, न ही उसमें मांस खाया गया हो। कलश स्थापना के लिए सबसे पहले एक लकड़ी का पटरा रखें और उसपर नया धुला हुआ लाल कपड़ा बिछाएं। इसके साथ एक साफ मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें, इसी बर्तन के बीच में जल से भरा हुआ कलश रखें। इस दौरान कलश का मुख खुला ना छोड़ें, उसे ढक्‍कन से ढक दें और कलश पर रखे ढक्कन को चावल या गेंहूं से भर दें। इसके बाद उस पर नारियल रखें और दीपक जलाएं। आपका कलश मिट्टी या किसी धातु का बना हो सकता है। ध्यान रखें इस दौरान आस पास हमेशा सफाई हो और दीपक हमेशा जलता रहे।Next

 

 

 

Read More:

क्यों चढ़ाया जाता है शिवलिंग पर दूध, समुद्र मंथन से जुड़ी इस रोचक कहानी में छुपा है रहस्य

अगर आपके घर में मंदिर है तो कभी न करें ये 5 गलतियां

मंदिर निर्माण से भी पहले इस भगवान की होती थी पूजा, खुदाई में मिले प्रमाण

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh