शास्त्रों में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान बताया गया है। चित्रगुप्त के पास इस ब्रह्मांड के सभी मनुष्यों के पाप और पुण्यों का हिसाब किताब रहता है। मान्यता है कि चित्रगुप्त की पूजा से मनुष्यों को सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जिन लोगों पर बाल्यावस्था में मृत्यु या काल योग हो उन्हें चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि, चित्रगुप्त यमराज के बहनोई हैं और चित्रगुप्त की पूजा से यमराज प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि इससे बाल्यावस्था में मृत्यु और काल योग कट जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त की पूजा की जाती है यह तिथि आज यानी 29 अक्टूबर को है। आइये जानते हैं चित्रगुप्त पूजा शुभ मुहूर्त, विधि, कथा और इसके नियमों के बारे में।
भगवान ब्रह्मा ने चित्रगुप्त की रचना की
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराज चित्रगुप्त का जन्म भगवान ब्रह्मा की काया से माना गया है। उनकी जन्म कथा के अनुसार काम अधिक होने के चलते यमराज ने भगवान ब्रह्मा से अपने लिए सहायक की मांग की। इस दौरान ब्रह्मा जी ध्यान में लीन हो गए। भगवान ब्रह्मा एक हजार वर्ष बाद जब उनका ध्यान पूरा हुआ तो उन्हें यमराज की कही बात याद आई। उन्होंने यमराज के काम को सरल करने के लिए अपनी काया से चित्रगुप्त को उत्पन्न किया।
यमराज की बहन का विवाह चित्रगुप्त से हुआ
सूर्य देव की पत्नी संज्ञा ने दो जुड़वां संतानों को जन्म दिया। पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमी रखा। बड़े होकर यमराज यमलोक के स्वामी बने और यमी का विवाह चित्रगुप्त से संपन्न कराया गया। इस तरह से चित्रगुप्त यमराज के बहनोई बन गए। ऐसी मान्यता है कि इसी रिश्ते की वजह से चित्रगुप्त की पूजा करने वाले भक्तों को यमराज का कोप नहीं भोगना पड़ता है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त की पूजा का विधान है।
चित्रगुप्त पूजा मुहूर्त
मंगलवार 20 अक्टूबर की महाराज चित्रगुप्त की पूजा का मुहूर्त बन रहा है। सुबह 11 बजकर 42 मिनट से अभिजीत मुहूर्त है, जो दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है। आप अभिजीत मुहूर्त में चित्रगुप्त पूजा करें। इसके साथ ही अमृत काल में भी पूजा की जा सकती है। यह पूजा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 04 मिनट से शाम 04 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
चित्रगुप्त पूजा विधि
प्राताकल स्नान करने के बाद पूर्व दिशा में बैठकर एक चौक बनाएं। वहां पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विधिविधान से पुष्प, अक्षत्, धूप, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। एक नई लेखनी या कलम उनको अवश्य अर्पित करें। कलम-दवात की भी पूजा कर लें। इसके बाद एक सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखें। इसके बाद चित्रगुप्त महाराज से अपने और परिवार के लिए बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद मंत्रोच्चारण करें।…Next
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