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सती अनुसुईया के क्रोध से खत्‍म होने लगी सृष्टि तो ब्रह्मा, विष्‍णु और शिव को बनना पड़ा बच्‍चा

हिंदू मान्‍यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन संसार को माता अनुसुईया के क्रोध से बचाने के लिए ब्रह्मा, विष्‍णु और शिव को उनका पुत्र बनना पड़ा था। उनके पतिव्रता धर्म की परीक्षा को लेकर पूरे संसार को उनके क्रोध का सामना करना पड़ा। बाद में तीनों देवों ने उनके पुत्र रूप में जन्‍म लेने का आश्‍वासन दिया तो वह शांत हुई थीं।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan11 Dec, 2019

 

 

 

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माता अनुसुईया का पतिव्रता धर्म
महान तपस्‍वी महर्षि अत्रि की पत्‍नी देवी अनुसुईया अपने पतिव्रता धर्म के लिए पूरी सृष्टि में प्रचलित थीं। प्रचलित कथाओं के प्रतिव्रता धर्म के कारण माता अनसुईया के अंदर इतना तपोबल था कि वह चुटकी में पूरी सृष्टि को खत्‍म कर सकती थीं। वह कुछ भी हासिल कर सकती थीं और तीनों लोक में कुछ भी कर सकती थीं। लेकिन उनके बल को देखकर पति अत्रि ने उनसे हमेशा शांत रहने का वचन लिया था।

 

 

 

पतिव्रत धर्म की परीक्षा का हठ
प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार नारद कैलाश, बैकुंठ समेत देवलोक की यात्रा पर निकले। उन्‍होंने देवी लक्ष्‍मी, माता पार्वती और देवी सरस्‍वती समेत अन्‍य नारियों को बताया कि सृष्टि में सबसे ज्‍यादा पतिव्रता धर्म का पालन करने वाली माता अनुसुईया हैं। उनके अंदर इतनी पवित्रता और शांति है कि उनका पतिव्रता धर्म कोई भी नहीं तोड़ सकता है। इस पर देवी लक्ष्‍मी और माता पार्वती और सरस्‍वती ने ब्रह्मा, विष्‍णु और शिव से अनुसुईया के पतिव्रता धर्म को तोड़ने का हठ करने लगीं।

 

 

 

ब्राह्मण कुमार बने ब्रह्मा विष्‍णु और शिव
देवियों के हठ के कारण तीनों देव ब्राह्मण वेश में महर्षि अत्रि के आश्रम में पहुंचे। वह तीनों माता अनुसुईया के समीप जाकर भिक्षा और कुछ देर आराम करने की मांग की। ब्राह्मण कुमारों का आतिथ्‍य करने के लिए अनुसुईया तत्‍पर हो गईं और उनके भोजन और विश्राम का प्रबंध करने लगीं। इस पर तीनों ब्राह्मण ने अनुसुईया से कहा कि वह उनका आतिथ्‍य तभी स्‍वीकार करेंगे जब वह उन्‍हें अपनी गोद में बैठाएंगी। यह सुनकर अनुसुईया ने तीनों ब्राह्मणों को चेतावनी दी और क्रोधित हो गईं।

 

 

 

अनुसुईया के क्रोध से मूर्छित हो गए तीनों देव
ब्राह्मणों के न मानने पर अनुसुईया ने अपने तपोबल का इस्‍तेमाल कर ब्राह्मणों की असलियत और वहां आने का कारण जान लिया। क्रोधित अनुसुईया ने अपने पतिव्रता धर्म के तप से तीनों को 6 माह का शिशु बना दिया और पालने में लिटा दिया। कुछ देर बाद शिुश बने तीनों देव भूख से छटपटाने लगे और रोने लगे। काफी देर रोने और भूख के कारण तीनों का गला सूखने लगा और वह मूर्छित होने लगे। तीनों देवों के मूर्छित होने से सृष्टि में कोलाहल मच गया।

 

 

 

 

 

 

तीनों देवों की मुक्ति और दत्‍तात्रेय का जन्‍म
नारद ने जब यह पूरा घटनाक्रम देवी लक्ष्‍मी, पार्वती और सरस्‍वती को सुनाया तो वह सृष्टि के कोलाहल का कारण जान गईं और तत्‍काल महर्षि अत्रि के आश्रम पहुंच गईं। तीनों देवियों ने माता अनुसुईया से अपनी गलती की क्षमा मांगते तीनों को मुक्‍त करने का आग्रह किया। लेकिन, तीनों देवों के कृत्‍य से क्रोधित माता अनुसुईया के तपोबल से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। महर्षि अत्रि के मनाने पर माता अनुसुईया शांत तो हुईं लेकिन उन्‍होंने तीनों देवियों से वचन लिया कि यह तीनों देव उनके घर जन्‍म लेकर उनके पुत्र बनेंगे। बाद में तीनों देव उनके यहां दत्‍तात्रेय के रूप में जन्‍मे। बाद में माता अनुसूईया को सती अनुसुईया भी कहा गया।…Next

 

 

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