
Posted On: 4 Nov, 2018 Spiritual में
धनतेरस के दिन से दीपावली का अहसास होने लगता है। दो दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार धनतेरस का त्योहार 5 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। धनतेरस को हिंदी कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के 13वें दिन मनाया जाता है। धनतेरस को धनवंतरी त्रियादसी भी कहा जाता है। हिंदू परम्परा के अनुसार, धनतेरस के दिन चांदी या सोने का गहना व सिक्के अथवा धातु का कोई बर्तन खरीदते हैं। उसके बाद, उसकी पूजा करते हैं और फिर इस्तेमाल करना शुरू करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिरी दीपावली से पहले ही क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार। शास्त्रों में इस त्योहार के महत्व को लेकर 2 कथाएं प्रचलित हैं।
मां लक्ष्मी का स्वागत
धनतेरस का अर्थ होता है धन। कई घरों में धनतेरस के दिन ही मां लक्ष्मी की पूजा कर लेते हैं। जो लोग व्यापारी वर्ग के होते हैं उनके लिए ये दिन बहुत ही खास होता है। कई लोग इस दिन सोने या चांदी के सिक्के घर में लाते हैं। इस दिन घरों में नए सामान या वाहनों के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में सदा-सदा के लिए वास हो जाता है।
अमृत मंथन की कहानी
वैसे तो धनतेरस को लेकर कई सारी पौराणिक कथाएं, कहा जाता है कि धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से अमृत निकला था और इसी को लेकर देवता और दानवों में बहस हो गई थी। साथ ही इसी दिन, मंथन से मां धनवंतरि भी निकली थी। मां धनवंतरि को यश और धन की देवी कहा जाता है।
ये है दूसरी कथा
कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के प्रकोप से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना। बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। उन्होने वामन भगवान से दान मांगने को कहा तब भगवान ने राजावलि से 3 पग जमीन मांगी। इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया। तब भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को। तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं होने पर बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया। बलि दान में अपना सब कुछ गंवा बैठा। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिली और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे 13 कई गुना अधिक धन-संपत्ति देवताओं को मिल गई। अभी से इस दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।…Next
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