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भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर सबसे पहले इस नगर में पहुंचे थे, आजकल पीएम मोदी के नाम से मशहूर है शहर

हिंदू मान्‍यताओं के अनुसार कार्तिक कृष्‍ण त्रयोदशी को समुद्र मंथन से अवतरित हुए भगवान धनवंतरि का जन्‍मदिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धनवंतरि को भगवान विष्‍णु का अवतार भी माना जाता है। धनवंतरि स्‍वास्‍थ्‍य, आरोग्‍य और खुशहाली का वरदान देने वाले भगवान माने जाते हैं। इस बार धनवंतरि का जन्‍मदिन 25 अक्‍टूबर को धनतेरस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन से दीपपर्व की शुरुआत भी मानी जाती है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan23 Oct, 2019

 

 

 

 

अमृत कलश लेकर काशी पहुंचे धनवंतरि
पौराणिक कथाओं के अनुसार अमृत कलश निकालने और जीव जंतुओं के उद्धार के लिए देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन से 14 रत्‍न निकले थे। इनमें धनवंतरि, लक्ष्‍मी, चंद्रमा, कामधेनु प्रमुख रहे। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि समुद्र मंथन से अमृत कलश निकले धनवंतरि से असुरों ने कलश छीनने का प्रयास किया। इस पर धनवंतरि कलश लेकर उड़ गए और वह धरती पर काशी नगर पहुंचे। यहां उन्‍होंने विश्राम किया और एक कुएं से जल पिया। ऐसा कहा जाता है कि काशी में कुएं से जल पीते हुए पानी की कुछ बूंदें धनवंतरि के हाथ से होती हुई कुएं के पानी में जा मिलीं। इससे उस कुएं का पानी से किसी भी तरह की बीमारी ठीक हो जाती है।

 

 

 

 

मानव रूप में विष्‍णु काशी में रहे
धनवंतरि भगवान के काशी पहुंचने के बारे में एक और कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि काशीराज का परिवार भगवान विष्‍णु का भक्‍त था और एक बार पूरे परिवार ने भगवान विष्‍णु की घोर तपस्‍या की। इस पर विष्‍णु प्रसन्‍न हो गए और काशीराज को वरदान मांगने को कहा। इस पर काशीराज ने विष्‍णु से उसके यहां रह जाने की विनती की। इस पर विष्‍णु ने कहा कि मैं समुद्र मंथन के दौरान तुम्‍हारे यहां आकर रहूंगा। इसी वरदान के तहत समुद्र से धनवंतरि का रूप लेकर अवतरित हुए विष्‍णु अमृत कलश लेकर काशीराज के यहां पहुंचे थे। बाद में उन्‍होंने मानव अवतार लिया और काशीराज के यहां रहे।

 

 

 

 

तक्षक नाग के जहर को बेअसर किया
ऐसी मान्‍यता है कि धनवंतरि के काशीराज के यहां रहते समय उनकी अमृतमयी चिकित्‍सा पूरे विश्‍व में फैल गई। इस पर तक्षक नाग काशीराज के यहां पहुंच गया और उसने चिकित्‍सक के रूप में मौजूद भगवान धनवंतरि की परीक्षा लेने की बात कही। परीक्षा के दौरान धनवंतरि ने तक्षक नाग के जहर को भी काट दिया। इस पर बौखलाए तक्षक ने गुस्‍से में वहां पर मौजूद पीपल के पेड़ को अपने जहर से भस्‍म कर दिया। इस पर युवक का रुप धारण किए धनवंतरि ने पीपल को दोबारा हराभरा कर दिया। काशी में आज भी भगवान धनवंतरि और विष्‍णु को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। यह शहर वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के चलते अकसर चर्चा में रहता है।

 

 

 

 

 

दान की परंपरा और मंत्र उच्‍चारण
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र बताते हैं कि भगवान धनवंतरि हर प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। इसलिए कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि की पूजा करनी चाहिए। स्कन्द पुराण के अनुसार इस दिन अल्‍पमृत्युनाश के लिए सायंकाल घर से बाहर यमराज के लिए दीपक और औषधियों का दान करने का विधान है। दान करने के दौरान मंत्र उच्‍चारण भी बताया गया है। …Next

 

मंत्र इस प्रकार है-
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन यमया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यजः प्रीयतां ममेति।।
कार्तिकस्य सिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।

 

 

 

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