हिंदु धर्म के प्रत्येक कर्मकांड में शंख वादन का विशेष महत्व होता है, पर क्या आपको पता है कि शंख वादन की परंपरा कैसे शुरू हुई और कुल कितने प्रकार के शंख होते हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शंख समुद्र मंथन के दौरान सर्वप्रथम पाया गया था. समुद्र मंथन से प्राप्त कुल 14 रत्नों में शंख एक महत्वपूर्ण रत्न है. शंख को सुख-समृद्धि और निरोगी काया का प्रतीक माना जाता है. इस मंगल चिह्न को घर की पूजा स्थल में रखते हैं. शंख निम्नलिखित प्रकार के होते हैं.
श्री गणेश शंख
इस शंख की आकृति भगवान श्री गणेश की तरह ही होने के कारण इसे गणेश शंख कहा जाता है. यह शंख दरिद्रता नाशक और धन प्राप्ति में लाभदायक होता है.
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अन्नपूर्णा शंख
अन्नपूर्णा शंख का उपयोग घर में सुख-शान्ति और समृद्धि के लिए किया जाता है. गृहस्थ अगर इस शंख का प्रतिदिन दर्शन करे तो परिवार में खुशहाली आती है.
कामधेनु शंख
कामधेनु शंख के उपयोग से बुद्धि तीक्ष्ण होती है तथा तर्क शक्ति और प्रबल होती है.
मोती शंख
यह शंख घर में सुख और शांति को लाता है. मोती शंख हृदय रोग में भी बेहद लाभकारी होता है. इसकी स्थापना पूजा घर में सफेद कपड़े पर करें और प्रतिदिन पूजन करें, लाभ मिलेगा.
ऐरावत शंख
ऐरावत शंख से मनचाही साधना सिद्ध होती है, शरीर की बनावट तथा रूप-रंग निखरता है. प्रतिदिन इस शंख में जल डाल कर उसे ग्रहण करने से चेहरा कांतिमय होने लगता है. प्रतिदिन शंख में 24 – 28 घण्टे तक जल रहे और फिर उस जल को ग्रहण करें.
विष्णु शंख
इसे घर में रखने भर से घर रोगमुक्त हो जाता है. इसका उपयोग प्रगति के लिए और असाध्य रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है.
पौण्ड्र शंख
इसका उपयोग मनोबल बढ़ाता है. विद्यार्थियों को इस शंख का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. इसे विद्यार्थियों को अध्ययन कक्ष में पूर्व की ओर रखा जाना चाहिए.
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मणि पुष्पक शंख
यह शंख यश कीर्ति, मान-सम्मान दिलाने वाला माना जाता है. उच्च पद की प्राप्ति के लिए भी इसका पूजन किया जाता है.
देवदत्त शंख
यह शंख दुर्भाग्य नाशक माना गया है. इसके उपयोग से मुकदमों में विजय मिलती है. इस शंख को शक्ति का प्रतीक माना गया है. न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को इसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए.
दक्षिणावर्ती शंख
इसे देव स्वरूप माना गया है. शंख के मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा, अग्रभाग में गंगा का निवास है. दक्षिणावर्ती शंख को श्रेष्ठ शंख कहा जाता है. इसके पूजन से खुशहाली और सम्पत्ति बढ़ती है. जहां इस शंख का वादन एवं पूजन होता है वहां लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं. Next…
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