दीपोत्सव यानी दीपावली पर्व मनाने के लिए लोगों की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। 25 अक्टूबर से धनतेरस के साथ दीपोत्सव की शुरुआत मानी जाती है और यह पर्व भैया दूज के साथ पूरा होता है। दरअसल, यह पर्व कई पर्वों का समूह भी है। इस वर्ष दीपावली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दीपावली को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि पृथ्वी पर सबसे पहले दीपावली की शुरुआत एक किसान ने कार्तिक अमावस्या के दिन की थी। हालांकि दीपावली कब और किसने मनाई इसको लेकर लोगों के अलग अलग दावे हैं और अलग अलग कहानियां हैं।
किसान के घर पहुंची देवी लक्ष्मी
हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसी कथा भी प्रचलित है कि समुद्र मंथन के बाद धन और संपदा की देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु बैकुंठ चले गए। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु ने पृथ्वी भ्रमण के विचार से बैकुंठ निकले तो देवी लक्ष्मी ने भी साथ में जाने की इच्छा जाहिर की। जिद करने पर भगवान विष्णु उन्हें लेकर पृथ्वी भ्रमण पर निकले। भ्रमण के दौरान भगवान विष्णु ने दक्षिण दिशा में भ्रमण की बात कहते हुए देवी लक्ष्मी को एक जगह रुकने को कहा। विष्णु ने देवी लक्ष्मी को उस जगह से कहीं और नहीं जाने और खुद के शीघ्र लौटने का आश्वासन दिया।
देवी को भाए सरसों के फूल और गन्ने के खेत
देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर मौजूद खेतों में लहलहाती फसल देखकर खुद को रोक नहीं सकीं और एक सरसों के खेत में चली गईं। उन्होंने सरसों के पीले फूल से अपना श्रंगार किया और आगे बढ़ गईं। इस बीच वह गन्ने के खेत पहुंचीं तो उन्होंने गन्ने को चखकर देखा स्वादिष्ट होने पर उन्होंने गन्ना खा लिया। भगवान विष्णु जब लौटे तो वह निश्चित जगह की बजाय किसान के खेत में भ्रमण करते मिलीं। नाराज भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी से कहा कि आपने चोरी करके किसान की फसल खाई आपको इसका दंड मिलेगा और दंड स्वरूप कुछ समय के लिए आप इस किसान के घर पर रहेंगीं। समय खत्म होने पर आकर मैं तुम्हें ले जाउंगा और विष्णु अकेले बैकुंठ प्रस्थान कर गए।
किसान के विलाप पर देवी ने दिया प्रतिवर्ष आने का वरदान
समय खत्म होने पर भगवान विष्णु लौटे और देवी लक्ष्मी को साथ चलने को कहा। देवी लक्ष्मी को जाता देख किसान व्याकुल हो गया और विलाप करने लगा। किसान के विलाप से दुखी देवी लक्ष्मी ने उसे आश्वासन दिया कि वह किसान के घर में एक कलश में मौजूद रहेंगी और किसान को उस कलश की पूजा करनी होगी। देवी ने किसान को वरदान दिया कि वह प्रतिवर्ष इसी दिन यानी कार्तिक अमावस्या को सशरीर उसके घर पधारेंगी। देवी से संपन्नता और वैभव का आशीर्वाद पाकर किसान मान गया और देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ बैकुंठ चली गईं। अगले वर्ष कार्तिक अमावस्या को किसान ने देवी लक्ष्मी के आगमन पर घर को खूब सजाया और दीपों से धरती को रोशन कर दिया। कहा जाता है कि यहीं से दीपावली मनाए जाने की शुरुआत हुई। इसके बाद प्रतिवर्ष लोग कार्तिक अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी को अपने घर बुलाते हैं और उनके स्वागत के लिए दीप जलाते हैं।…Next
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