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रामायण काल के साक्षी हैं ये अकाट्य सबूत

रामायण को महज एक काल्पनिक रचना मानना चाहिए या फिर भारत के इतिहास का एक विश्वसनीय दस्तावेज, इस बात को लेकर अक्सर बहस होती है. जहां आधुनिक इतिहासकार इसे इतिहास के विश्वसनीय दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करने से इंकार करते हैं वहीं कई धर्मावलंबियों का यह अटल विश्वास हे कि रामायण में वर्णित घटनाएं वास्तव में घटित हुई थीं. हम यहां इस विवाद के ऊपर कोई निर्णय तो नहीं दे रहे हैं लेकिन ऐसे कुछ अटल साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं जिन्हें जानकर आप खुद इस निर्णय पर पहुंच सकते हैं कि इतिहास के तराजू में रमायण को आप महज एक काल्पनिक साहित्यिक रचना कहकर खारिज नहीं कर सकते.


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रावण का महल-

लंकापति रावण के महल का अवशेष आज भी मौजूद है. यह वही महल है, जिसे पवनपुत्र हनुमान ने लंका के साथ जला दिया था.

रामायण में लंका दहन को रावण के विरुद्ध राम की पहली बड़ी रणनीतिक जीत माना जा सकता है क्योंकि महाबली हनुमान के इस कौशल से वहां के सभी निवासी भयभीत होकर कहने लगे कि जब सेवक इतना शक्तिशाली है तो स्वामी कितना ताकतवर होगा.


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सुग्रीव की गुफा-

बाली के डर से सुग्रीव जिस गुफा में ठहरे थे वह गुफा भी मौजूद है. इस कंदरा में सुग्रीव बाली के डर से छिपे थे.



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रामायण की एक कहानी के अनुसार वानरराज बाली ने दुंदुभि नामक राक्षस को मारकर उसका शरीर कुछ योजन दूर फेंक दिया था. हवा में उड़ते हुए दुंदुभि के रक्त की कुछ बूंदें मातंग ऋषि के आश्रम में गिर गईं. ऋषि ने अपने तपोबल से जान लिया कि यह करतूत किसकी है.


क्रुद्ध ऋषि ने बाली को शाप दिया कि यदि वह कभी भी ऋष्यमूक पर्वत के एक योजन क्षेत्र में आएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी. यह बात उसके छोटे भाई सुग्रीव को ज्ञात थी और इसी कारण से जब बाली ने उसे प्रताड़ित कर अपने राज्य से निष्कासित किया तो वह इसी पर्वत पर एक कंदरा में अपने मंत्रियों समेत रहने लगा. यहीं उसकी भगवान राम और लक्ष्मण से भेंट हुई और बाद में राम ने बाली का वध किया और सुग्रीव को किष्किंधा का राज्य मिला.


रामसेतु

रामसेतु जिसे अंग्रेजी में एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है, भारत के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य चूना पत्थर से बनी एक श्रृंखला है. भौगोलिक प्रमाणों से पता चलता है कि किसी समय यह सेतु भारत तथा श्रीलंका को भू-मार्ग से आपस में जोड़ता था. यह पुल करीब 18 मील (30 किलोमीटर) लंबा है.



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ऐसा माना जाता है कि 15वीं शताब्दी तक यह पैदल पार करने योग्य था. एक चक्रवात के कारण यह पुल अपने पूर्व स्वरूप में नहीं रहा. रामसेतु एक बार फिर तब सुर्खियों में आया था, जब नासा के उपग्रह द्वारा लिए गए चित्र मीडिया में सुर्खियां बने थे.

समुद्र पर सेतु के निर्माण को राम की दूसरी बड़ी रणनीतिक जीत कहा जा सकता है, क्योंकि समुद्र की तरफ से रावण को कोई खतरा नहीं था और उसे विश्वास था कि इस विराट समुद्र को पार कोई भी उसे चुनौती नहीं दे सकता.



रामायण कालीन 4 हवाईअड्डे

श्री लंका की रामायण अनुसंधान कमेटी ने रावण के रामायण कालीन 4 हवाईअड्डे खोजने का दावा किया है.



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पिछले 9 वर्षों से ये कमेटी श्री लंका का कोना कोना छान रही थी जिसके तहत कई छुट पुट जानकारी व अवशेष भी मिलते रहे, परन्तु पिछले 4 सालों में लंका के दुर्गम स्थानों में की गई खोज के दौरान रावण के 4 हवाईअड्डे हाथ लगे है.

कमेटी के अध्यक्ष अशोक केंथ का कहना है कि रामायण में वर्णित लंका वास्तव में श्री लंका ही है जहां उसानगोडा , गुरुलोपोथा, तोतुपोलाकंदा तथा वरियापोला नामक चार हवाईअड्डे मिले हैं.


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अशोक वाटिका

अशोक वाटिका लंका में स्थित है, जहां रावण ने सीता का हरण करने के पश्चात बंधक बनाकर रखा था. ऐसा माना जाता है कि एलिया पर्वतीय क्षेत्र की एक गुफा में सीता माता को रखा गया था, जिसे ‘सीता एलिया’ नाम से जाना जाता है. यहां सीता माता के नाम पर एक मंदिर भी है. Next…


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