अग्नि आकाश, जल, वायु, धरती… इन पांच तत्वों से बना है यह संसार जिसमें जल हमारे जीवन में एक अहम भूमिका निभाता है. पुराणों में जल को ना केवल एक पेय पदार्थ माना गया है बल्कि इसे बेहद ही सम्मान के साथ देखा जाता रहा है. भारत में बहने वाली पवित्र नदी ‘गंगा’ का सम्मान भी इसी के साथ जुड़ा हुआ है. इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस पवित्र नदी को स्वच्छ बनाने में लगे हैं.
नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि इस नदी की पवित्रता किसी भी रूप में खंडित ना हो इसलिए तमाम इंतजामों के साथ इस नदी को साफ कराया जा रहा है. भारतीयों में गंगा नदी को लेकर सम्मान इस कदर है कि हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में गंगा जल का प्रयोग किया जाता है. ऐसा इस नदी में क्या है जिसे लोग हमेशा पूजते हैं.
गंगा है सबसे महत्त्वपूर्ण
गंगा नदी, भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदियों में से एक है जो भारत से लेकर बांग्लादेश तक कुल 2,525 किमी की दूरी तय करती हुई उत्तरांचल में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू भाग को सींचती है. इस यात्रा के दौरान इस नदी में न जाने कितनी ही अन्य छोटी व बड़ी नदियों का संगम होता है.
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गंगा नदी की महत्वता पुराणों में मिले इसके वर्णन से प्राप्त होता है. पौराणिक समय से ही गंगा को भावनात्मक आस्था के रूप से देखा गया है. इसे पूजा जाता है, इसकी पवित्रता की उपासना की जाती है और इतना ही नहीं, गंगा नदी को माँ और देवी का रूप भी माना जाता है.
क्या कहता है इतिहास
कुछ कथाओं के अनुसार गंगा का निर्माण ब्रह्मा व विष्णु के पैर के पसीने की बूँदों से हुआ था. लेकिन कई लोग मानते हैं कि गंगा भोले शंकर भगवान शिव जी की जटाओं से उत्पन्न हुई थी इसलिए इसे और भी पवित्र माना गया है. पुराणों में गंगा को स्वर्ग में मन्दाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं. गंगा की चर्चा एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा महाभारत में भी की गई है.
गंगा नदी का सम्मान
प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा के उपलक्ष्य पर लाखों श्रद्धालू गंगा स्नान करके अपनी आत्मा को शांति देते हैं लेकिन इसकी पीछे क्या महत्त्व है? कहा जाता है कि हर वर्ष भारत में पंद्रह पूर्णिमाएं होती हैं जिसमें से सबसे खास है कार्तिक मास की पूर्णिमा. यह सबसे बड़ी पूर्णिमा होती है जिसका सम्बन्ध भगवान शिव से है. इस अवसर पर खासतौर से पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है.
इस दिन लोग व्रत रखने के साथ-साथ गंगा स्नान भी करते हैं. ऐसा न करने शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. गंगा शिव की जटाओं से उत्पन्न हुई थी इसलिए इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने के साथ जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है.
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माना जाता है कि इस दिन चन्द्रमा जब आकाश में अपने पूर्ण आकार में उदित हो रहा हो तब शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से श्रद्धालू भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, हवन, यज्ञ, आदि करवाने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है. यह भी मान्यता है कि इस दिन दान की गई वस्तु उस व्यक्ति को उसकी मृत्यु के बाद स्वर्ग में प्राप्त होती है.
सिख भी मनाते हैं पूर्णिमा
सिख सम्प्रदाय में भी कार्तिक पूर्णिमा की अत्यंत महत्त्वता है. इस दिन को सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसदिन उनका जन्म हुआ था. इस अवसर पर सिख सम्प्रदाय के अनुयायी सुबह उठकर स्नान कर गुरूद्वारों में जाकर गुरूवाणी सुनते हैं और नानक जी के बताये रास्ते पर चलने के लिए संकल्प लेते हैं.
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