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यहां आज भी मौजूद है संजीवनी बूटी पहाड़, मिलते हैं कई प्रमाण!

रामायण में संजीवनी बूटी लक्ष्मण के प्राण वापस लाने और हनुमान के संजीवनी पर्वत को पूरा उठा लाने वाला प्रसंग सभी जानते हैं। वैध सुषेण ने संजीवनी को चमकीली आभा और विचित्र गंध वाली बूटी बताया है। संजीवनी पर्वत आज भी श्रीलंका में मौजूद है। माना जाता है कि हनुमानजी ने इस पहाड़ को टुकडे़ करके इस क्षेत्र विशेष में डाल दिया था।



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जब हनुमान पूरा पर्वत उठा लाए

हनुमान जब संजीवनी का पहाड़ उठाकर श्रीलंका पहुंचे तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा। रीतिगाला की खासियत है कि आज भी जो जड़ी-बूटियां उगती हैं, वो आसपास के इलाके से बिल्कुल अलग हैं। श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर हाकागाला गार्डन में हनुमान के लाए पहाड़ का दूसरा बडा़ हिस्सा गिरा। इस जगह की भी मिट्टी और पेड़ पौधे अपने आसपास के इलाके से बिल्कुल अलग हैं।




रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है ये

यह चर्चित पहाड़ श्रीलंका के पास रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। श्रीलंका की खूबसूरत जगहों में से एक उनावटाना बीच इसी पर्वत के पास है। श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर कई ऐसी जगहें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां हनुमान के लाए पहाड़ के गिरे टुकड़े हैं। इस जगह की खास बात ये कि जहां-जहां ये टुकड़े गिरे, वहां-वहां की जलवायु और मिट्टी बदल गई। इन जगहों पर मिलने वाले पेड़-पौधे श्रीलंका के बाकी इलाकों में मिलने वाले पेड़-पौधों से काफी अलग हैं।




‘रहुमाशाला कांडा’ ही है द्रोणागिरी पर्वत

श्रीलंका के सुदूर इलाके में मौजूद ‘श्रीपद’ नाम की जगह पर स्थित पहाड़ ही, वह जगह है जो द्रोणागिरी का एक टुकड़ा था और जिसे उठाकर हनुमानजी ले गए थे। इस जगह को ‘एडम्स पीक’ भी कहते हैं। श्रीलंका के दक्षिणी तट गाले में एक बहुत रोमांचित करने वाली इस पहाड़ को श्रीलंकाई लोग रहुमाशाला कांडा कहते हैं। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि वह द्रोणागिरी का पहाड़ था, द्रोणागिरी हिमालय में स्थित था।

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हनुमान ने यहां छोड़ दिया था पर्वत

ऐसा माना जाता है कि जब संजीवनी बूटी द्वारा लक्ष्मण की जान बचा ली गई, तब हनुमान द्वारा लाए गए पहाड़ को वापस उसी जगह रख देने का सुझाव दिया गया। लेकिन युद्ध अभी चरम सीमा पर था, इस कारण से हनुमान उस संजीवनी बूटी वाले पर्वत के टुकड़े को पुन: हिमालय में नहीं रखकर आए। ऐसी मान्यता है कि कर्नाटक के दक्षिण-कन्नड़ बार्डर कहे जाने वाले पश्चिमी घाट पर पर्वत का ये टुकड़ा अभी भी स्थित है।…Next


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