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श्रीकृष्ण ने राधा के वियोग में तोड़कर फेंक दी थी अपनी बांसुरी, राधा रानी ने ऐसे त्याग दिए थे अपने प्राण

राधा और कृष्ण इनका प्रेम ऐसा कि कृष्ण से पहले राधा का नाम लिया जाता है और मंदिरों, तस्वीरों और कहानियों में अक्सर राधा का जिक्र श्रीकृष्ण के साथ होता है। ऐसे में पौराणिक कहानियों में राधा-कृष्ण के प्रेम से जुड़ा उल्लेख मिलता है। ऐसी ही कहानी है राधा-कृष्ण के वियोग की। जब श्रीकृष्ण राधा की मृत्यु से इतने दुखी हो गए थे कि उन्होंने अपनी बांसुरी तक तोड़कर फेंक दी थी।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal23 Aug, 2019

 

 

प्रेम के प्रतीक राधा-कृष्ण
राधा और कृष्ण जब आठ साल के थे तभी से उनको अपने प्रेम का आभास हो गया था। राधा का कृष्ण के प्रति प्रेम इतना अटूट था कि उन्होंने पूरी जिंदगी कृष्ण को अपने मन में बसाए रखा। राधा-कृष्ण कभी एक ना होते हुए भी सदैव एक ही रहे, तभी राधा और कृष्ण की कभी शादी नहीं हुई लेकिन आज के समय में भी राधा और कृष्ण का नाम एक साथ लिया जाता है। कृष्ण भगवान के जीवन में दो चीजें काफी महत्वपूर्ण थीं, जिनमें बांसुरी और राधा थीं। भगवान श्रीकृष्ण जब भी बांसुरी बजाते तो राधा उन धुनों पर थिरकती थीं। जब भी कृष्ण बांसुरी बजाते राधा दौड़ी चली आती थीं। बांसुरी को राधा और श्रीकृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

 

जब कर्म की वजह से राधा-कृष्ण को बिछड़ना पड़ा
एक समय आया जब कृष्ण राधा से बिछड़ने लगे। क्योंकि कृष्ण के मामा कंस ने बलराम और कृष्ण को अपने यहां मथुरा आमंत्रित किया, जिसके बारे में जानकर वृंदावन के लोग दुखी हो गए। वृंदावन के लोग कभी नहीं चाहते थे कि बलराम और कृष्ण मथुरा जाएं लेकिन भगवान श्रीकृष्ण कंस के वध के लिए जन्म लिया था इसलिए उन्हें मथुरा जाना ही पड़ा। मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण राधा से मिले और उन्होंने वादा किया कि वह लौट कर आएंगे।वापस आने का वादा कृष्ण नहीं निभा पाएं और वो मथुरा से कभी नहीं लौट पाए।

 

 

कृष्ण के महल में रहती थीं राधा
राक्षसों को मारने के बाद कृष्ण द्वारका चले गए और वहां उनकी शादी रूकमणि से हो गई। वहीं राधा की भी शादी हो चुकी थी। राधा के मन में हमेशा ही कृष्ण का वास रहा, लेकिन उन्होंने अपने पत्नी धर्म के सभी कर्तव्यों को निभाया लेकिन एक वक्त पर सारी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर जीवन के आखिरी दौर में वह कृष्ण से मिलने पहुंचीं, तब उन्हें कृष्ण और रूकमणि के विवाह का पता चला। राधा को द्वारका में कोई पहचान नहीं पाया तो वह भगवान श्रीकृष्ण के महल में शरणार्थी के तौर पर रहने लगीं और महल में काम करने लगीं। पर जब रादा के जीवन का अंत नजदीक आया तो उनसे रहा नहीं गया और भगवान श्रीकृष्ण को याद किया, जिसके बाद कृष्ण उनके सामने आ गए।

 

राधा की मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण ने तोड़ दी बांसुरी
जब कृष्ण राधा के सामने आए तो उन्होंने राधा से कुछ मांगने को कहा। तब राधा ने कृष्ण से आखिरी बार बांसुरी बजाने की इच्छा प्रकट की। राधा की इच्छा के मुताबिक श्रीकृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बजाने लगे। बांसुरी की धुन सुनके ही राधा ने अपना शरीर त्याग दिया लेकिन कृष्ण तब तक बजाते रहे जब तक राधा आध्यात्मिक रूप से कृष्ण में विलिन नहीं हो गई। भगवान श्रीकृष्ण राधा की मृत्यु को सह नहीं कर पाए और उनके प्रेम के प्रतीक बांसुरी को तोड़कर झाड़ी में फेंक दी।…Next

 

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