हिन्दू धर्म में तीज पर्व का विशेष स्थान है, यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की याद में मनाया जाता है। तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए दिन-भर व्रत-उपवास रखती हैं। अच्छे जिवनसाथी की कामना के लिए अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को रखती हैं। मान्यता है कि तीज का व्रत रखने से विवाहित स्त्रियों के पति की उम्र लंबी होती है, जबकि अविवाहित लड़कियों को मनचाहा जीवन साथी मिलता है। साल भर में कुल चार तीज मनाई जाती हैं, जिनमें हरियाली तीज का विशेष महत्व है। चलिए जानते हैं आखिर क्यों है ये बेहद खास।
क्यों मनाई जाती है तीज?
सुहागिन महिलाओं के बीच तीज पर्व का खास महत्व है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए पूरे तन-मन से करीब 108 सालों तक घोर तपस्या की। पार्वती के तप से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। तीज पर्व पार्वती को समर्पित है, जिन्हें तीज माता कहा जाता है।
हरतालिका तीज का महत्व
सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका। हरत का मतलब है ‘अपहरण’ और आलिका यानी ‘सहेली’। प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं। सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज के व्रत के नियम
1. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं, लेकिन एक बार व्रत रखने के बाद जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है।
2. अगर महिला ज्यादा बीमार है तो उसके बदले घर की अन्य महिला या फिर पति भी इस व्रत को रख सकता है।
3. इस व्रत में सोने की मनाही है, यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है। रात के वक्त भजन-कीर्तन किया जाता है।
हरियाली तीज के लिए जरूरी पूजा और श्रृंगार सामग्री
हरियाली तीज के दिन व्रत रखा जाता है और पूजा के लिए कुछ जरूरी सामान की आवश्यकता होती है। पूजा के लिए काले रंग की गीली मिट्टी, पीले रंग का कपड़ा, बेल पत्र, जनेऊ, धूप-अगरबत्ती, कपूर, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, तेल, घी,दही, शहद दूध और पंचामृत चाहिए। वहीं, इस दिन पार्वती जी का श्रृंगार किया जाता है और इसके लिए चूड़ियां, आल्ता, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, कंघी, शीशा, काजल, कुमकुम, सुहाग पूड़ा और श्रृंगार की चीजें चाहिए होती हैं।…Next
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