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मिली सोने से भरी जरासंध की गुफा

हिन्दुस्तान को सोनों से भरा देश कहा जाता था.यह देश सदियों से आक्रमणकारी मंगोलों और मुगलों आदि के हाथों लुटा है. आक्रमणकारी ऊंटों पर लादकर सोना अपने देश ले गए. परन्तु हिन्दुस्तान की गोद आज भी सोने से भरा पड़ा है. देश में कई ऐसी गुफाएं हैं जिनमें लाखों-करोड़ों टन सोना छिपा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐतिहासिक शहर राजगीर में एक ऐसा गुफा है जिसमें सोने का विशाल भंडार छुपा हुआ है. ज्ञात हो ऐतिहासिक शहर राजगीर वही स्थान है जो प्राचीनकाल में मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी.



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बिहार के प्राचीन शहर राजगीर में एक ऐसी गुफा है जिसमें लाखों टन सोना और अन्य खजाना होने की संभावना व्यक्त की जाती रही है. माना जा रहा है कि यह गुफा राजगीर के वैभरगिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित है. यह वही स्थान है जहाँ बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था.



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राजगीर नगरी में लगभग 3-4 ईसा पूर्व में भगवान बुद्ध की स्मृति के कई स्मारक बने थे इन्ही में से एक ‘सोन भंडार गुफा’ है जो आज भी रहस्य से भरी है. इतिहासकारों का मानना है कि इस गुफा में अपार सोना छिपा हुआ है, लेकिन समस्या यह है कि गुफा तक पहुँचने का कोई रास्ता किसी को मालूम नहीं है. माना जाता है कि यह खजाना एक 10.4×5.2 मीटर आयताकार मजबूत कोठरी में कैद है. गुंबद की भीतरी छत सीधे दीवारों के सहारे 1.5 मीटर ऊंची है, जो चट्टानों को काटकर बनाई गई मौर्यकालीन गर्भगृहों जैसी दिखाई पड़ती है.



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इस गुफा में दो कक्ष बने हुए हैं. ये दोनों कक्ष पत्‍थर की एक चट्टान से बंद हैं. कक्ष सं. 1 माना जाता है कि सुरक्षाकर्मियों का कमरा था जबकि दूसरे कक्ष के बारे में मान्‍यता है कि इसमें सम्राट बिम्बिसार का खजाना था. यह भी कहा जाता है कि यह खजाना जरासंध का था. जरासंध कंस का ससुर था.



किंवदंतियों के अनुसार गुफाओं की असाधारण बनावट है. कुछ लोगों का मानना है कि इस खजाने तक पहुंचने का रास्ता वैभरगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है, जो सोन भंडार गुफा के दूसरी तरफ तक पहुंचता है. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह खजाना पूर्व मगध सम्राट जरासंध का है तो कुछ का मानना है कि यह खजाना मौर्य शासक बिम्बिसार का था.Next…



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