ऐसा क्या हो रहा है जिसके कारण लोग इस स्थान को किसी चमत्कार से कम नहीं मानते…
मणिकर्ण में एक स्थान ऐसा है जहाँ आज भी उबलता पानी बाहर निकलता रहता है. यह वही स्थान है जहाँ शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिए दुर्लभ मणि बाहर फेंकी थी. शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिये यह मणि क्यों फेंकी इसके पीछे एक रोचक कहानी है. मान्यताओं के अनुसार मणिकर्ण ऐसा सुंदर स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती ने करीब 11 हजार वर्षों तक तपस्या की थी.
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मां पार्वती जब जल-क्रीड़ा कर रही थी तब उनके कानों में लगे आभूषणों की एक दुर्लभ मणि पानी में गिर गई थी. भगवान शिव ने अपने गणों को इस मणि को ढूंढने को कहा परन्तु लाख जतन करने के बाद भी वह मणि नहीं मिली. इस पर भगवान शिव बेहद क्रोधित हो गए. उनके क्रोध को देख तीनों लोकों के देवता भी कांपने लगे. तभी भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला जिसमें से शक्ति प्रकट हुई जिसका नाम नैना देवी हुआ.
शिवजी के तीसरे आँख से प्रकट नैना देवी ने देवताओं को बताया कि यह दुर्लभ मणि पाताल लोक में शेषनाग जी के पास है. इसके बाद सभी देवता शेषनाग के पास पहुंचे और इसे वापस करने की विनती करने लगे. देवताओं की प्रार्थना पर शेषनाग ने दूसरी मणियों के साथ इस विशेष मणि को भी वापस कर दिया. शेषनाग ने जोर की फुंकार भरी जिससे इस जगह पर गर्म जल की धारा फूट पड़ी.
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पुनः विशेष मणि को प्राप्त कर मां पार्वती खुश हो गई. भगवान शिव का क्रोध भी शांत हो गया. इसी कारण इस जगह का नाम मणिकर्ण पड़ा. आज भी यहां पानी की एक धारा इतनी गर्म होती है कि इसमें कुछ ही मिनटों में चावल तक पक जाते हैं.Next…
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